बेखौफ जुबां बे बाक अंदाज

Home » राजनीतिक » कन्हैया कुमार ने अररिया में ‘पलायन रोको, नौकरी दो यात्रा’ निकाली

कन्हैया कुमार ने अररिया में ‘पलायन रोको, नौकरी दो यात्रा’ निकाली

Share Now :

WhatsApp

कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने रविवार को अररिया में ‘पलायन रोको, नौकरी दो यात्रा’ निकाली। इस यात्रा ने अररिया कॉलेज से अपनी शुरुआत की, जो काली मंदिर होते हुए गांधी सेवा आश्रम कांग्रेस कार्यालय तक पहुंची। यात्रा में सैकड़ों युवा और कांग्रेस कार्यकर्ता शामिल हुए। इस यात्रा का प्रमुख उद्देश्य बिहार में बढ़ती बेरोजगारी और पलायन के खिलाफ आवाज उठाना था।

अररिया में ‘पलायन रोको, नौकरी दो यात्रा’
अररिया में ‘पलायन रोको, नौकरी दो यात्रा’

कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने इस यात्रा की तुलना महात्मा गांधी के चंपारण आंदोलन से की, यह बताते हुए कि इस यात्रा के माध्यम से समाज के गरीब और बेरोजगार वर्ग को रोजगार देने के लिए सरकार पर दबाव डालने की कोशिश की जा रही है। यह यात्रा 16 मार्च से शुरू हुई थी और इसमें 2019-20 की सेना भर्ती प्रक्रिया के अभ्यर्थी भी शामिल हुए, जो बेरोजगारी और सरकारी प्रक्रिया में असमंजस के कारण परेशान थे। अभ्यर्थियों ने तख्तियां और जंजीरें लेकर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया, जिसके दौरान उनकी मुख्य मांग रोजगार और भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता की थी।

अररिया में ‘पलायन रोको, नौकरी दो यात्रा’
अररिया में ‘पलायन रोको, नौकरी दो यात्रा’

हालांकि, यात्रा के दौरान घटनाओं का मोड़ अचानक बदल गया। कार्यक्रम के दौरान कन्हैया कुमार के बाउंसर और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच धक्का-मुक्की हो गई, जिसके बाद कन्हैया कुमार ने अपनी पदयात्रा को स्थगित कर दिया। पदयात्रा को बीच में छोड़कर कन्हैया कुमार कार्यक्रम से बाहर निकल गए, जिससे यात्रा में असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई।

अररिया में ‘पलायन रोको, नौकरी दो यात्रा’
अररिया में ‘पलायन रोको, नौकरी दो यात्रा’

इस आंदोलन के बीच, ओडिशा के आशीष कुमार ने अपनी दर्दभरी कहानी साझा की। उन्होंने बताया कि उन्होंने 2019-21 में सेना भर्ती की शारीरिक और चिकित्सा परीक्षा पास की थी, लेकिन उन्हें चार साल तक कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद जून 2022 में भर्ती प्रक्रिया को रद्द कर दिया गया, जिससे न केवल उनका करियर प्रभावित हुआ बल्कि उनकी बहन की शादी भी टूट गई। आशीष कुमार के अनुसार, इस दौरान 78 अभ्यर्थियों ने आत्महत्या कर ली थी, जो इस प्रक्रिया में अनिश्चितता के चलते मानसिक तनाव का शिकार हो गए थे।

कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने इस पूरे आंदोलन को न्याय और रोजगार की मांग के रूप में पेश किया। उन्होंने कहा कि यह यात्रा बिहार के युवाओं के लिए एक नई उम्मीद बनकर उभरी है। यात्रा में शामिल लोगों का उत्साह इस बात का प्रमाण है कि अब युवा अपनी समस्याओं के समाधान के लिए एकजुट हो रहे हैं और सरकार से जवाब मांग रहे हैं।

अधिक नवीनतम समाचारों के लिए पढ़ें JebNews

39 Views

Leave a Comment

error: jantaexpress is copyright content