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जिद और जुनून से लिखी रोशनी परवीन ने खुद अपनी कहानी

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जिद और जुनून से लिखी रोशनी परवीन ने खुद अपनी कहानी, हजारों महिलाओं के लिए बनी जिंदा मिसाल।

बता ते चलें की आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है। यह दिन उन महिलाओं को सम्मान देने का है, जिन्होंने समाज के लिए अपना जीवन समर्पित किया और दूसरों के लिए प्रेरणा बनकर खड़ी हुईं। ऐसी ही एक नाम है रोशनी परवीन, जो अपनी कड़ी मेहनत, संघर्ष और समाज सेवा के लिए आज देश और दुनिया में एक अलग पहचान बना चुकी हैं। बिहार के किशनगंज जिले की रहने वाली रोशनी परवीन ने अपनी जिंदगी में कई मुश्किलों का सामना किया, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।

कम उम्र में शादी, घरेलू हिंसा और समाज के तानों के बावजूद उन्होंने खुद को कमजोर नहीं होने दिया। बल्कि अपनी तकलीफों से सीखते हुए समाज में बदलाव लाने के लिए काम करना शुरू किया। आज रोशनी परवीन न सिर्फ जनता एक्सप्रेस वेलफेयर फाउंडेशन की संस्थापक और निदेशक हैं, बल्कि महिला सशक्तिकरण, बाल विवाह रोकथाम, घरेलू हिंसा पीड़ितों को न्याय दिलाने और बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए लगातार काम कर रही हैं। उन्होंने अब तक 69 से अधिक बाल विवाह रुकवाए, 117 से अधिक घरेलू हिंसा के मामले सुलझाए, 200 से अधिक बच्चों को दोबारा स्कूल से जोड़ा और 9 से अधिक लड़कियों को मानव तस्करी से बचाया है।

उनके इस महान कार्य को न केवल देश में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा गया है। साल 2023 में जिनेवा, स्विट्जरलैंड में उन्हें संयुक्त राष्ट्र (UN) द्वारा यंग एक्टिविस्ट लॉरिएट अवार्ड से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें इसलिए मिला क्योंकि उन्होंने समाज में महिलाओं और बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज रोशनी परवीन बिहार ही नहीं बल्कि पूरे देश की बेटियों के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं। उनकी आवाज आज उन लड़कियों के लिए गूंज रही है, जिन्हें समाज में कभी दबाने की कोशिश की गई थी। उनकी पहचान आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बन चुकी है और हर जगह लोग उनकी सराहना कर रहे हैं।

वही मीडिया से बात करते हुए रोशनी परवीन ने बताया की उनका एक ही सपना है किशनगंज जिले में एक पुनर्वास केंद्र स्थापित करना, जहां उन महिलाओं और बच्चों को सहारा दिया जा सके, जो कभी बाल विवाह, घरेलू हिंसा या शोषण का शिकार रहे हैं। वह चाहती हैं कि हर महिला आत्मनिर्भर बने और समाज में सम्मान के साथ अपना जीवन जी सके।
आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर रोशनी परवीन जैसी महिलाएं यह साबित कर रही हैं कि अगर इंसान के अंदर हिम्मत और जज्बा हो, तो कोई भी परिस्थिति उसे रोक नहीं सकती। उनकी कहानी यह सिखाती है कि अगर आप बदलाव चाहते हैं, तो खुद को मजबूत बनाकर आगे बढ़ना होगा।रोशनी परवीन की यह यात्रा आज लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी है। उनकी मेहनत और समाज सेवा के लिए उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। बिहार के एक छोटे से जिले से निकलकर आज वह दुनिया भर में भारत का नाम रोशन कर रही हैं। महिला दिवस के इस खास मौके पर, हम सभी को रोशनी परवीन जैसी महिलाओं से प्रेरणा लेनी चाहिए। वह यह साबित कर रही हैं कि अगर एक महिला ठान ले, तो समाज में बदलाव लाने से उसे कोई नहीं रोक सकता।

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