कटिहार: जिला समाहरणालय के सामने स्थित ऐतिहासिक इंदिरा गांधी पार्क, जो लंबे समय से बच्चों, बुजुर्गों और आमजनों के लिए मनोरंजन का एकमात्र प्रमुख स्थल रहा है, इस समय जीर्णोद्धार के दौर से गुजर रहा है। वर्षों से उपेक्षित इस पार्क को अब 15 लाख रुपये की लागत से नया स्वरूप देने का प्रयास किया जा रहा है। इसका पुनर्निर्माण कार्य सदर विधायक तारकिशोर प्रसाद के विधायक निधि से संचालित हो रहा है।
हालांकि, इस बहुप्रतीक्षित परियोजना में अब निर्माण कार्य को लेकर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों ने आरोप लगाया है कि निर्माण में न केवल मानक निर्माण नियमों की अनदेखी की जा रही है, बल्कि प्रयुक्त सामग्रियों की गुणवत्ता भी बेहद संदिग्ध है।

नींव के बिना खड़े किए जा रहे पिलर, पुरानी दीवारों से जोड़ने का प्रयास
स्थानीय नागरिकों और जनप्रतिनिधियों का कहना है कि पार्क में बनाए जा रहे संरचनाओं के लिए न तो पर्याप्त नींव डाली गई है और न ही इंजीनियरिंग मानकों का पालन हो रहा है। कुछ पिलरों को आधी टूटी हुई पुरानी दीवारों से जोड़ा जा रहा है, जिससे उनकी मजबूती और स्थायित्व पर बड़ा सवाल उठता है।
जनप्रतिनिधि मारुति झा और विक्टर झा ने इस पूरे कार्य में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए जिले के वरीय अधिकारियों और जिला पदाधिकारी से जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि निर्माण में प्रयुक्त सीमेंट, बालू और गिट्टी जैसी मूल सामग्रियों को बिना किसी वैज्ञानिक मापदंड या गुणवत्ता जांच के खुले में मिलाया जा रहा है, जिससे भविष्य में निर्माण की स्थिरता और सुरक्षा दोनों पर खतरा मंडरा रहा है।

स्थल निरीक्षण में सामने आई खामियां, कार्य पर तत्काल रोक
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए संबंधित विभाग के अधिकारी अरविंद कुमार निराला ने मौके पर जाकर निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उपलब्ध वीडियो फुटेज और तस्वीरों के आधार पर यह स्वीकार किया गया कि कार्य में कई गंभीर तकनीकी त्रुटियां मौजूद हैं।
अधिकारियों ने संवेदक (ठेकेदार) को तत्काल प्रभाव से कार्य रोकने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही आदेश दिया गया है कि अब तक किए गए कार्य की विस्तृत समीक्षा की जाएगी और यदि आवश्यकता हुई तो पुराने निर्माण को तोड़कर नए सिरे से गुणवत्तापूर्ण और तकनीकी मानकों के अनुरूप निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा।
स्थानीय लोगों में रोष, पारदर्शिता की मांग
स्थानीय नागरिकों ने प्रशासन से इस पूरे निर्माण कार्य की पारदर्शी जांच कराने और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि अगर निर्माण कार्य में इस तरह की लापरवाही बरती जाती रही तो पार्क का भविष्य अधर में रहेगा और जनता की मेहनत की कमाई व्यर्थ जाएगी।
निष्कर्ष:
कटिहार का इंदिरा गांधी पार्क न केवल एक ऐतिहासिक स्थल है, बल्कि आम जनता के लिए एक जरूरी सामाजिक स्थान भी। ऐसे में इसके पुनर्निर्माण में किसी भी प्रकार की अनियमितता को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। वर्तमान स्थिति में प्रशासन की कार्रवाई भले ही सराहनीय हो, लेकिन असली कसौटी यह होगी कि आगे निर्माण कार्य कितनी पारदर्शिता और गुणवत्ता के साथ पूरा होता है।
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