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पत्रकार से बदसलूकी को लेकर प्रशांत किशोर विवादों में

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किशनगंज– जनसुराज अभियान के संस्थापक और राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। मंगलवार को किशनगंज जिले के बहादुरगंज में आयोजित एक जनसभा के बाद आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान प्रशांत किशोर ने एक वरिष्ठ पत्रकार के सवाल पर आपा खो दिया। इस घटना ने मीडिया जगत और आम लोगों के बीच गहरी नाराज़गी पैदा कर दी है।

पत्रकार से बदसलूकी को लेकर प्रशांत किशोर विवादों में
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क्या हुआ था?

जानकारी के अनुसार, बहादुरगंज में बदलाव जनसभा को संबोधित करने के बाद प्रशांत किशोर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। इस दौरान वरिष्ठ पत्रकार अब्दुल करीम ने उनसे एक सीधा सवाल किया—उन्होंने भाजपा बिहार प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल पर जो आरोप लगाए हैं, उसका प्रमाण या आधार क्या है?

इस सवाल पर प्रशांत किशोर अचानक नाराज़ हो गए। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक उन्होंने पत्रकार को डांटा, चुप कराने की कोशिश की और यहां तक कि पत्रकार की माइक आईडी भी छीनने की कोशिश की। यह पूरा वाकया कैमरे में रिकॉर्ड हो गया और वीडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

पत्रकार से बदसलूकी को लेकर प्रशांत किशोर विवादों में
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पत्रकारों में आक्रोश

घटना के बाद स्थानीय पत्रकारों में गहरा रोष देखा जा रहा है। प्रेस क्लब से जुड़े कई सदस्यों और मीडिया संस्थानों ने इस व्यवहार की निंदा की है। एक स्थानीय संवाददाता ने कहा, “अगर आज एक सवाल पूछने पर इस तरह की प्रतिक्रिया मिल रही है, तो सोचिए कि सत्ता में आने के बाद ये नेता कैसा व्यवहार करेंगे।”

कई पत्रकारों ने मांग की है कि प्रशांत किशोर को इस व्यवहार के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए। कुछ मीडिया संगठनों ने भी विरोध स्वरूप उनकी प्रेस वार्ताओं से दूरी बनाने की बात कही है।

पत्रकार से बदसलूकी को लेकर प्रशांत किशोर विवादों में
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जनसुराज अभियान पर सवाल

इस घटना के बाद प्रशांत किशोर के नेतृत्व में चल रहे जनसुराज अभियान की नैतिकता और पारदर्शिता पर सवाल उठने लगे हैं। बदलाव और जनसंवाद की बात करने वाले प्रशांत किशोर का इस तरह एक वैध पत्रकारिक प्रश्न पर गुस्सा जाहिर करना कई लोगों को असहज कर गया है।

अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं

घटना के 24 घंटे बीत जाने के बावजूद प्रशांत किशोर या जनसुराज पार्टी की ओर से कोई औपचारिक माफीनामा या स्पष्टीकरण जारी नहीं किया गया है। इससे असंतोष और बढ़ता दिख रहा है।


निष्कर्ष
प्रशांत किशोर जैसे चर्चित रणनीतिकार और राजनेता के लिए यह घटना एक बड़े जनसंपर्क संकट का कारण बन सकती है। जहां एक ओर वे बिहार में एक ‘नई राजनीति’ की बात करते हैं, वहीं दूसरी ओर ऐसी घटनाएं उनके अभियान की साख को नुकसान पहुँचा सकती हैं।

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