पूर्णिया: वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ देशभर में बढ़ते विरोध की कड़ी में पूर्णिया जिले के जलालगढ़ प्रखंड में एक बड़ा शांतिपूर्ण प्रदर्शन हुआ। जलालगढ़ हाई स्कूल स्टेडियम में आयोजित इस विशाल जनसभा में क्षेत्र की विभिन्न पंचायतों से हजारों लोगों ने भाग लेकर बिल के प्रति अपना विरोध दर्ज कराया।
वक्फ बिल के विरोध में जलालगढ़ में हजारों लोगों का प्रदर्शन
हजारों लोगों की भागीदारी, शांतिपूर्ण वातावरण
प्रदर्शन में शामिल लोगों ने हाथों में तख्तियाँ और बैनर लेकर शांतिपूर्वक वक्फ संपत्तियों पर हो रहे कथित हस्तक्षेप के खिलाफ विरोध जताया। वक्ताओं और प्रदर्शनकारियों ने केंद्र सरकार से यह मांग की कि वह तत्काल वक्फ संशोधन बिल को वापस ले, जिसे वे अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों पर हमला मानते हैं।
वक्फ बिल के विरोध में जलालगढ़ में हजारों लोगों का प्रदर्शन
राजनीतिक और सामाजिक नेताओं की तीखी प्रतिक्रिया
सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रदेश महासचिव एवं श्रीनगर प्रखंड प्रमुख शाहनवाज आलम ने कहा,
“यह संशोधन न केवल वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता को समाप्त करता है, बल्कि यह देश की धर्मनिरपेक्षता पर सीधी चोट है। अल्पसंख्यकों के धार्मिक और सामाजिक अधिकारों को कमजोर करने की यह साजिश किसी भी हाल में स्वीकार नहीं की जा सकती।”
वक्फ बिल के विरोध में जलालगढ़ में हजारों लोगों का प्रदर्शन
स्वतंत्रता सेनानियों को किया गया याद
सभा में समिति सदस्य अब्दुल रहमान ने देश के महान स्वतंत्रता सेनानियों का उल्लेख करते हुए कहा,
“आज डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद और अशफ़ाक उल्ला ख़ान जैसे देशभक्तों के बनाए इस मुल्क में अल्पसंख्यक संस्थाओं को निशाना बनाया जा रहा है, जो अत्यंत चिंता का विषय है।”
वक्फ बिल के विरोध में जलालगढ़ में हजारों लोगों का प्रदर्शन
स्थानीय नेतृत्व की एकजुटता
सभा में शामिल अन्य प्रमुख वक्ताओं में राजद प्रखंड उपाध्यक्ष कुतुबुद्दीन अंसारी, जनप्रतिनिधि मोहम्मद बशीर आलम, उप मुखिया मोहम्मद निज़ाम, धार्मिक नेता मौलाना मेराज और क़ाज़ी-ए-शरीअत जुबैर आलम, साथ ही सीमांचल युवा राजद कसबा प्रखंड अध्यक्ष मोहम्मद दानिश भी शामिल थे। इन सभी वक्ताओं ने एक स्वर में वक्फ संशोधन बिल को अल्पसंख्यकों के अधिकारों के खिलाफ करार दिया और इसे “संविधान विरोधी” बताया।
सर्वसम्मति से लिया गया संकल्प
सभा के अंत में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें यह कहा गया कि जब तक केंद्र सरकार यह बिल वापस नहीं लेती, तब तक संवैधानिक और लोकतांत्रिक तरीकों से विरोध और संघर्ष जारी रहेगा। साथ ही लोगों से शांति बनाए रखने और एकजुट होकर अपने अधिकारों के लिए लड़ने की अपील की गई।