असम के 24 वर्षीय तापस बैशशा ने देश में शांति, समृद्धि और सद्भाव का संदेश लेकर उत्तराखंड के केदारनाथ तक की कठिन पैदल यात्रा शुरू की है। अपनी यात्रा की शुरुआत उन्होंने पवित्र कामाख्या मंदिर, असम से की थी। रविवार रात वह बिहार के किशनगंज ज़िले के पौआखाली क्षेत्र में पहुंचे, जहां उन्होंने रात्रि विश्राम किया। अगली सुबह वह पुनः अपनी यात्रा पर निकल पड़े।

22 दिनों में तय किए 700 किमी
तापस ने बताया कि वह प्रतिदिन लगभग 30 से 40 किलोमीटर पैदल यात्रा करते हैं। अब तक उन्होंने 22 दिनों में लगभग 700 किलोमीटर की दूरी तय कर ली है। इस यात्रा को पूरा करने में उन्हें अभी करीब डेढ़ महीना और लगेगा।

संकटों से भरी है यात्रा, फिर भी मजबूत है संकल्प
तापस की यह यात्रा सिर्फ एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि एक सामाजिक और मानसिक संकल्प की प्रतीक है। उन्होंने बताया कि रास्ते में उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। खासतौर पर रात में विश्राम के लिए उपयुक्त स्थान ढूंढना मुश्किल होता है। कई बार लोगों द्वारा उन्हें रुकने से मना भी कर दिया जाता है। फिर भी उनका हौसला बना हुआ है।
शांति और प्रेरणा का उद्देश्य
तापस ने बताया कि वह हाल ही में हुए पहलगाम हमले से बेहद व्यथित हुए थे, और उसी के बाद उन्होंने यह संकल्प लिया कि वे देश में शांति और सौहार्द्र की कामना के साथ यह यात्रा करेंगे। उनका उद्देश्य युवाओं और बुजुर्गों दोनों को प्रेरित करना है ताकि वे भी आध्यात्मिकता और देशहित की ओर कदम बढ़ाएं।
तापस की यह यात्रा न सिर्फ उनके दृढ़ संकल्प का प्रमाण है, बल्कि यह पूरे देश के लिए एक संदेश भी है – कि अगर इच्छाशक्ति मजबूत हो, तो कोई भी लक्ष्य दूर नहीं।
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