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दिल्ली: चिराग पासवान का तेजस्वी यादव पर तीखा हमला

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केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने दिल्ली में मीडिया से बातचीत के दौरान बिहार की राजनीति और तेजस्वी यादव की रणनीति पर करारा प्रहार किया। चिराग ने साफ शब्दों में कहा कि तेजस्वी यादव अब भी अपनी पार्टी की पारंपरिक “MY” (मुस्लिम-यादव) राजनीति को ही आगे बढ़ा रहे हैं, जो बिहार में जातिवाद और सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने का काम करती है।

दिल्ली: चिराग पासवान का तेजस्वी यादव पर तीखा हमला
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MY बनाम MY: चिराग का नया सियासी समीकरण

चिराग ने अपने ‘MY’ का नया मतलब समझाते हुए कहा,

“मेरे लिए MY का अर्थ है महिलाएं और युवा। बिहार का विकास महिलाओं और युवाओं को आगे बढ़ाए बिना नहीं हो सकता। जबकि तेजस्वी यादव की राजनीति अब भी उसी पुराने फॉर्मूले पर टिकी है, जो समाज को बांटने का काम करता है।”

उनका यह बयान साफ तौर पर राजद की पारंपरिक मुस्लिम-यादव (MY) वोट बैंक को निशाना बनाते हुए आया है, जो लंबे समय से पार्टी की मुख्य ताकत रहा है।

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‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ विजन दोहराया

चिराग पासवान ने एक बार फिर अपने विकास मॉडल ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ को दोहराया और दावा किया कि उन्होंने इस विचार पर व्यापक शोध और योजनाएं तैयार की हैं। उन्होंने कहा,

“मैंने बिहार की जमीनी समस्याओं पर काम किया है — शिक्षा, रोजगार, महिला सशक्तिकरण, स्वास्थ्य और उद्योग हर क्षेत्र के लिए मेरे पास समाधान है। मेरा लक्ष्य सिर्फ सत्ता नहीं, बल्कि व्यवस्था को बदलना है।”

दिल्ली: चिराग पासवान का तेजस्वी यादव पर तीखा हमला
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राजनीतिक संकेत और भविष्य की दिशा

चिराग का यह बयान ऐसे समय आया है जब बिहार में 2025 के विधानसभा चुनावों की तैयारियां ज़ोर पकड़ रही हैं। बीजेपी की केंद्र सरकार में मंत्री बनने के बाद से चिराग अब राज्य में अपनी पार्टी की पुनर्स्थापना के लिए रणनीतिक रूप से सक्रिय हो गए हैं

उनके बयानों से यह साफ है कि वे बिहार में जातीय समीकरणों को नए तरीके से परिभाषित करने की कोशिश कर रहे हैं — जहां विकास, युवाओं और महिलाओं को प्राथमिकता दी जा रही है।

निष्कर्ष

चिराग पासवान का यह बयान केवल राजनीतिक कटाक्ष नहीं, बल्कि बिहार की राजनीति में बदलते विमर्श और सामाजिक ध्रुवीकरण के खिलाफ एक वैकल्पिक नैरेटिव की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। अब देखना यह होगा कि उनके ‘MY’ का यह नया फॉर्मूला जनता के बीच कितना प्रभाव डालता है और आने वाले चुनावों में किस रूप में उभरता है।

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