बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनज़र जन सुराज अभियान के संस्थापक और रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने मंगलवार को अररिया जिले के जोकीहाट और नरपतगंज में दो बड़ी जनसभाओं को संबोधित किया। इन सभाओं में उन्होंने रोजगार, शिक्षा, और पलायन जैसे मुद्दों पर जनता से वोट करने की अपील की और AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी पर सीधा राजनीतिक हमला बोला।

🔹 सीमांचल पर ओवैसी को चुनौती
जोकीहाट में पूर्व सांसद सरफराज आलम और नरपतगंज में जनार्दन यादव के समर्थन में आयोजित रैली में प्रशांत किशोर ने कहा कि इस बार बिहार की जनता को जाति और धर्म से ऊपर उठकर राज्य के भविष्य के लिए वोट करना चाहिए।
उन्होंने AIMIM प्रमुख पर निशाना साधते हुए कहा,
“ओवैसी साहब हैदराबाद में बैठे हैं। सीमांचल को देखने का दम है तो आइए। सीमांचल के लोग अब समझ चुके हैं कि असली मुद्दे क्या हैं — रोजगार, शिक्षा और विकास। वोट बैंक की राजनीति का समय खत्म हो चुका है।”
किशोर ने दावा किया कि सीमांचल क्षेत्र के लोग अब राजनीतिक जागरूकता की नई राह पर हैं और जन सुराज अभियान उनके हितों की सच्ची आवाज बनेगा। उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब AIMIM सीमांचल के मुस्लिम बहुल इलाकों में अपनी राजनीतिक पैठ मजबूत करने में जुटी है।

🔹 “डराने-धमकाने का खेल” — चुनाव आयोग के नोटिस पर प्रशांत किशोर का जवाब
सभा के दौरान प्रशांत किशोर ने चुनाव आयोग से मिले नोटिस पर भी खुलकर प्रतिक्रिया दी। आयोग ने उन पर आरोप लगाया था कि उनका नाम वोटर लिस्ट में दो जगह — बिहार के कोणार गांव और पश्चिम बंगाल — दोनों में दर्ज है। इस पर किशोर ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा,
“यह डराने-धमकाने का खेल है। मेरा नाम 2019 से मेरे पैतृक गांव कोणार में दर्ज है। जब मैं दो साल के लिए बंगाल गया था, तब अगर मेरा नाम वहां जुड़ गया, तो ‘स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR)’ के दौरान इसे हटाया क्यों नहीं गया?”
उन्होंने आगे कहा,
“मुझे नोटिस भेजने की बजाय गिरफ्तार कर लो, मैं बिहार में ही हूं। हम डरने वाले नहीं हैं। यह ‘गीदड़ भभकी’ है, जो हमें रोक नहीं सकती।”
किशोर ने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर सिस्टम पारदर्शी नहीं हुआ, तो ईमानदार लोग राजनीति में आने से कतराएँगे।

🔹 “जाति नहीं, मुद्दे पर वोट करें”
प्रशांत किशोर ने जनसभा में जनता से अपील की कि वे जाति और धर्म की राजनीति से ऊपर उठकर मुद्दों पर आधारित वोटिंग करें।
“अगर आप शिक्षा, रोजगार और पलायन पर सोचकर वोट देंगे, तभी बिहार बदलेगा। वरना वही पुराना खेल चलता रहेगा — भाषण, धर्म और जाति के नाम पर वोट मांगना।”
उन्होंने कहा कि बिहार में बेरोजगारी और पलायन सबसे बड़ी समस्या है, लेकिन इन पर कोई सरकार गंभीर नहीं दिखती। जन सुराज अभियान इन मुद्दों को राजनीति के केंद्र में लाने के लिए काम कर रहा है।
🔹 सीमांचल में जन सुराज अभियान की बढ़ती पकड़
प्रशांत किशोर का यह दौरा सीमांचल के लिए रणनीतिक माना जा रहा है। यह क्षेत्र सामाजिक और धार्मिक रूप से संवेदनशील है, जहां AIMIM की पकड़ मजबूत होती जा रही है। ऐसे में किशोर का “ओवैसी को चुनौती देना” एक राजनीतिक संदेश माना जा रहा है कि जन सुराज अभियान सीमांचल की राजनीति में सीधा मुकाबला करने को तैयार है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशांत किशोर की सभाओं में बड़ी संख्या में युवा और पहली बार वोट देने वाले लोग जुट रहे हैं, जो पारंपरिक दलों से निराश हैं।
🔹 निष्कर्ष
प्रशांत किशोर का अररिया दौरा न केवल AIMIM के बढ़ते प्रभाव को चुनौती देने का संकेत देता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि वे अब मुद्दों की राजनीति बनाम पहचान की राजनीति के नए समीकरण को लेकर बिहार में सक्रिय हैं।
उनका स्पष्ट संदेश है —
“बिहार अब बदलने को तैयार है। जनता को केवल यह तय करना है कि वे जाति और धर्म के नाम पर वोट देंगे, या विकास के नाम पर।”
राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार, किशोर की यह आक्रामक शैली और सीधी चुनौती बिहार चुनाव के आगामी चरणों में राजनीतिक माहौल को और तेज़ कर सकती है।
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