किशनगंज सदर अस्पताल की लापरवाही एक बार फिर उजागर हो गई है। अस्पताल परिसर, खासकर पोस्टमॉर्टम रूम के पास, मेडिकल वेस्ट और कचरे के ढेर से पट गया है। इस गंदगी के कारण मरीजों और कर्मचारियों को दुर्गंध झेलनी पड़ रही है, जिससे इलाज के दौरान उनका रहना तक दूभर हो गया है।

बीमारियों का खतरा बढ़ा
जहां अस्पताल में मरीजों को स्वास्थ्य लाभ मिलना चाहिए, वहीं यह गंदगी उनके लिए नई बीमारियों की वजह बनती दिख रही है। पोस्टमॉर्टम रूम जैसे संवेदनशील इलाके में इस तरह का कचरा खुलेआम जमा होना न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि यह संक्रमण फैलने का गंभीर खतरा भी पैदा कर रहा है।

स्थानीयों और मरीजों का फूटा गुस्सा
स्थानीय निवासी सुमित कुमार का कहना है कि यह समस्या कोई नई नहीं है, कचरा हफ्तों से जमा है लेकिन प्रशासन टालमटोल कर रहा है। मरीज मोहम्मद इसराइल ने बताया कि इलाज के लिए आना तो मजबूरी है, मगर बदबू के कारण यहां कुछ पल भी रुकना मुश्किल है।

कर्मचारियों का भी काम प्रभावित
अस्पताल स्टाफ ने भी माना कि यह स्थिति उनके रोज़मर्रा के कार्यों को प्रभावित कर रही है। एक कर्मचारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “हम खुद बीमार होने के डर में काम कर रहे हैं।”
प्रशासन के आश्वासन पर भरोसा नहीं
सिविल सर्जन ने मीडिया को बताया कि उन्हें स्थिति की जानकारी है और जल्द ही कचरा हटवाकर उचित निपटान की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। हालांकि स्थानीय लोगों राकेश और अब्दुल का कहना है कि यह कोई पहली बार का आश्वासन नहीं है—पहले भी ऐसे वादे किए गए लेकिन ज़मीनी स्तर पर कोई बदलाव नहीं आया।
जनता की मांग: स्थायी समाधान चाहिए
इलाके के नागरिकों ने अस्पताल प्रशासन से मांग की है कि इस समस्या का केवल अस्थायी नहीं, बल्कि स्थायी समाधान किया जाए। उनका कहना है कि अस्पताल में आने वाले मरीजों और कर्मचारियों को कम से कम एक साफ और सुरक्षित वातावरण तो मिलना ही चाहिए।
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