अररिया: फारबिसगंज प्रखंड के खमकोल घाट पर परमान नदी में वर्षों से पुल निर्माण न होने से क्षेत्र के हजारों ग्रामीणों को रोजमर्रा की जिंदगी में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। यह समस्या सिर्फ आवागमन तक सीमित नहीं है, बल्कि सीधे तौर पर किसानों की आजीविका पर भी प्रभाव डाल रही है।

खेती पर संकट
इस क्षेत्र के अधिकांश किसानों की खेती परमान नदी के उस पार है। पुल नहीं होने के कारण उन्हें मजबूरन कमता घाट, अम्हारा घाट और उसरी घाट जैसे दूरस्थ वैकल्पिक रास्तों से होकर जाना पड़ता है, जिससे न केवल यात्रा लंबी हो जाती है बल्कि फसल की ढुलाई में समय और खर्च भी कई गुना बढ़ जाता है। कई किसान फसल समय पर खेतों तक नहीं पहुंचा पाने के कारण आर्थिक नुकसान झेल रहे हैं।

नाव और चचरी पुल भी नहीं सुरक्षित
नदी पार करने के लिए ग्रामीणों को नाव का सहारा लेना पड़ता है, जो मानसून के दौरान अत्यंत जोखिमभरा हो जाता है। ग्रामीणों ने मिलकर चंदा इकट्ठा कर एक अस्थायी चचरी पुल भी बनाया था, लेकिन वह भी बाढ़ के तेज बहाव में बह गया। मानसून के मौसम में परमान नदी का जलस्तर काफी बढ़ जाता है, जिससे आवाजाही लगभग असंभव हो जाती है और मक्का जैसी फसलें समय पर खेतों तक नहीं पहुंच पातीं, जिससे वे सड़ जाती हैं।
वोट बहिष्कार का ऐलान
ग्रामीणों की नाराजगी अब आंदोलन का रूप ले चुकी है। “पुल नहीं तो वोट नहीं” का नारा लगाकर ग्रामीणों ने आगामी विधानसभा चुनावों में वोट बहिष्कार की चेतावनी दी है। ग्रामीणों का कहना है कि वे अब किसी भी राजनीतिक दल या जनप्रतिनिधि के वादों पर भरोसा नहीं करेंगे, जब तक कि पुल निर्माण की ठोस योजना और समयसीमा घोषित नहीं की जाती।
प्रशासन से अब तक कोई समाधान नहीं
स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने कई बार प्रशासनिक अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को अपनी समस्या से अवगत कराया, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन ही मिले। नतीजतन अब लोगों में सरकार और व्यवस्था के प्रति गहरी नाराजगी है।
स्थानीय नेताओं ने भी जताई चिंता
पूर्व उपमुखिया अमहरा भागवत मंडल, डॉ. मनोज मंडल सहित दर्जनों ग्रामीण पुरुषों और महिलाओं ने इस मुद्दे पर खुलकर अपनी पीड़ा साझा की है। उन्होंने बताया कि यह समस्या अब क्षेत्र में गंभीर राजनीतिक और सामाजिक मुद्दा बन चुकी है।
सरकार के लिए चुनौती
परमान नदी पर पुल निर्माण अब सिर्फ विकास का मुद्दा नहीं, बल्कि जनता के असंतोष और आंदोलन का कारण बन चुका है। स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकार के लिए यह एक बड़ी चुनौती है कि समय रहते ठोस कदम उठाए जाएं, ताकि जनता का भरोसा बहाल हो सके।
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