पूर्णिया जिले के कसबा प्रखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत गुरही में स्थानीय मुखिया साजिया खातून और उनके पति एवं मुखिया प्रतिनिधि गुलाम सरवर के नेतृत्व में आयोजित “जागो बिहार – अपने लिए, अपनों के लिए” पदयात्रा का असर अब दिखने लगा है। राज्य सरकार ने आंदोलनकारियों की 11 सूत्रीय मांगों में से एक प्रमुख मांग को आंशिक रूप से मानते हुए वृद्धा, विधवा और विकलांग पेंशन में वृद्धि की घोषणा की है। हालांकि अन्य प्रमुख मांगों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है, जिससे आंदोलनकारियों में नाराजगी है और उन्होंने आगे बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है।

जनजागरण की थी कोशिश, उठाईं आम लोगों की आवाज़ें
मुखिया साजिया खातून और गुलाम सरवर द्वारा शुरू की गई यह पदयात्रा केवल राजनीतिक मंच नहीं थी, बल्कि इसे एक जनजागरण अभियान के रूप में देखा गया। इसमें सैकड़ों ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। पदयात्रा के माध्यम से सरकार से गरीब, किसान, बेरोजगार, महिलाओं और बुजुर्गों से जुड़ी 11 अहम मांगें रखी गईं।

ये थीं प्रमुख 11 मांगें:
- वृद्धा, विधवा एवं विकलांग पेंशन को ₹3,000 से बढ़ाकर ₹5,000 प्रतिमाह किया जाए।
- पेंशन की न्यूनतम आयु 60 से घटाकर 50 वर्ष की जाए।
- गरीब परिवारों की बेटियों के विवाह हेतु ₹50,000 की सहायता राशि दी जाए।
- किसानों का कर्ज माफ कर उन्हें नई कृषि तकनीकों से जोड़ा जाए।
- बेरोजगार युवाओं को ₹5,000 मासिक भत्ता दिया जाए।
- स्मार्ट मीटर हटाए जाएं, जिससे बिजली बिल की मनमानी रोकी जा सके।
- पेंशन एवं कल्याणकारी योजनाओं में सरल पंजीकरण प्रक्रिया लागू की जाए।
- सभी ग्राम पंचायतों में सुलभ स्वास्थ्य सुविधा केंद्र की स्थापना।
- स्थानीय स्तर पर कौशल प्रशिक्षण केंद्र शुरू किया जाए।
- जनवितरण प्रणाली (PDS) को पारदर्शी और डिजिटल बनाया जाए।
- शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए स्थानीय विद्यालयों को संसाधनों से लैस किया जाए।
सरकार की प्रतिक्रिया – सिर्फ एक मांग पर कार्रवाई
बिहार सरकार ने इनमें से एक मांग को आंशिक रूप से मानते हुए वृद्धा, विधवा और विकलांग पेंशन में ₹400 की बढ़ोतरी का ऐलान किया है। अब यह पेंशन राशि ₹700 से बढ़ाकर ₹1,100 प्रति माह कर दी गई है, जो जुलाई 2025 से लागू होगी।
इस घोषणा को आंदोलन से जुड़े लोगों ने आंशिक सफलता बताया है। गुलाम सरवर ने कहा कि यह स्वागतयोग्य कदम है, लेकिन बाकी दस मांगों की अनदेखी नहीं की जा सकती।

आंदोलन का अगला चरण – चेतावनी दी गई
मुखिया प्रतिनिधि गुलाम सरवर ने साफ चेतावनी दी है कि यदि सरकार बाकी मांगों पर जल्द निर्णय नहीं लेती है, तो वे एक बार फिर जागो बिहार यात्रा निकालेंगे, और इस बार आंदोलन को जिला मुख्यालय से लेकर राजधानी पटना तक ले जाया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन सिर्फ किसी वर्ग का नहीं, बल्कि हर उस नागरिक की आवाज़ है जो आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है।
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि अगर सरकार ने उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया तो यह जनआंदोलन राज्यव्यापी आंदोलन का रूप ले सकता है, जिसमें किसान, महिला, छात्र, बेरोजगार और बुजुर्ग सभी शामिल होंगे।
निष्कर्ष:
‘जागो बिहार यात्रा’ सिर्फ एक राजनीतिक गतिविधि नहीं, बल्कि नीतिगत परिवर्तन की मांग करने वाला सामाजिक आंदोलन बनकर उभरा है। सरकार ने एक पहल की है, लेकिन बाकी मांगों को लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार जनता की पूरी आवाज़ सुनती है या फिर आंदोलन और तेज होगा।
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