किशनगंज जिले के शिमलबाड़ी और महेशबथना गांवों में क्रिया द्वारा संचालित रोशनी प्रोग्राम के तहत बाल विवाह की रोकथाम और किशोरियों की शिक्षा को लेकर एक विशेष सर्वेक्षण अभियान शुरू किया गया है। यह सर्वेक्षण इस उद्देश्य से किया जा रहा है कि यह समझा जा सके कि लड़कियां स्कूल छोड़ने के लिए किन परिस्थितियों में मजबूर होती हैं और क्या कारण है कि कई जगहों पर कम उम्र में उनका विवाह कर दिया जाता है। जिन क्षेत्रों में यह सर्वेक्षण चल रहा है उनमें शिमलबाड़ी और महेशबथना जैसे गांव शामिल हैं, जहां आठवीं कक्षा के बाद माध्यमिक विद्यालय की सुविधा नहीं होने के कारण अधिकांश किशोरियों की पढ़ाई बीच में रुक जाती है और सामाजिक दबाव के चलते उन्हें विवाह के लिए विवश कर दिया जाता है।

रोशनी प्रोग्राम के सर्वेक्षण में शामिल रोशनी परवीन घर-घर जाकर लोगों से संवाद कर रही हैं और पर्चे व पोस्टरों के माध्यम से यह संदेश दे रही हैं कि उन्हें शिक्षा का अधिकार चाहिए, न कि जबरन विवाह। इस पूरे अभियान का उद्देश्य केवल आंकड़े इकट्ठा करना नहीं है बल्कि समाज की सोच में बदलाव लाना है ताकि लड़कियों को अपने जीवन के निर्णय लेने का अधिकार और शिक्षा प्राप्त करने का समान अवसर मिल सके। यह कार्यक्रम क्रिया नामक संगठन द्वारा संचालित किया जाता है जो एक नारीवादी संगठन है और समाज में बदलाव लाने के लिए अलग-अलग जिलों में महिलाओं और लड़कियों को नेतृत्व की भूमिका सौंपता है।

रोशनी प्रोग्राम इसी सोच पर आधारित एक पहल है जो विभिन्न जिलों में स्थानीय नेतृत्व के माध्यम से सामाजिक समस्याओं पर कार्य करता है। किशनगंज जिले में इस कार्यक्रम का नेतृत्व सामाजिक कार्यकर्ता रोशनी परवीन कर रही हैं जो पिछले आठ वर्षों से बाल विवाह की रोकथाम, घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं की सहायता और किशोरियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कार्यरत हैं।

हाल ही में प्रकाशित रिपोर्टों के अनुसार बिहार में माध्यमिक स्तर की ड्रॉपआउट दर देश में सबसे अधिक है और 2023-24 के यूनिफाइड डैशबोर्ड फॉर स्कूल एजुकेशन (UDISE+) के आंकड़ों के अनुसार राज्य में माध्यमिक स्तर पर लड़कियों की ड्रॉपआउट दर लगभग 20.9 प्रतिशत है। वहीं राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (NFHS-5) के अनुसार बिहार में लगभग 40.8 प्रतिशत लड़कियों की शादी 18 वर्ष से पहले कर दी जाती है और 15 से 19 वर्ष की उम्र की लगभग 11 प्रतिशत किशोरियां गर्भवती या मां बन चुकी होती हैं। यह आंकड़े राज्य में बाल विवाह की गंभीर स्थिति को दर्शाते हैं।

क्रिया द्वारा संचालित रोशनी प्रोग्राम का प्रयास है कि ऐसे आंकड़े केवल कागजों तक सीमित न रहें बल्कि जमीनी स्तर पर सामाजिक जागरूकता के माध्यम से बदलाव की शुरुआत की जा सके। किशनगंज जिले में इस कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहीं रोशनी परवीन ने इस विषय पर JEB News से बात करते हुए कहा कि हमारा उद्देश्य केवल बाल विवाह रोकना नहीं है बल्कि लड़कियों को यह भरोसा दिलाना है कि वे पढ़ सकती हैं, आगे बढ़ सकती हैं और अपने जीवन के निर्णय खुद ले सकती हैं। जब तक लड़कियों को शिक्षा का अधिकार नहीं मिलेगा तब तक उनका भविष्य सुरक्षित नहीं हो सकता।
