किशनगंज ज़िले के मुस्लिम बहुल बहादुरगंज विधानसभा क्षेत्र में मंगलवार को जनसुराज पार्टी की ओर से एक ‘बदलाव सभा’ का आयोजन किया गया, जिसे पार्टी के संस्थापक और रणनीतिकार प्रशांत किशोर (PK) ने संबोधित किया। इस सभा को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा बड़े पैमाने पर प्रचार किया गया और लोगों को आकर्षित करने के लिए खाने-पीने की विशेष व्यवस्था की गई थी।

खाने के इंतज़ाम पर उमड़ी भीड़, सभा स्थल बना ‘भोजन स्थल’
सभा में उपस्थित लोगों के लिए दाल-भात, सब्जी, मटन, वेज बिरयानी समेत कई व्यंजनों की भव्य व्यवस्था की गई थी। पार्टी कार्यकर्ताओं ने पहले से ही स्थानीय लोगों को यह जानकारी दी थी कि सभा में भाग लेने वाले किसी भी व्यक्ति को भोजन की कोई कमी नहीं होगी। इस घोषणा का असर भी दिखाई दिया, जब बड़ी संख्या में लोग सभा स्थल पर भोजन के लिए उमड़ पड़े।
स्थानीय कार्यकर्ता अबू बरकात ने बताया कि “लगभग 5 हजार लोगों के खाने का इंतज़ाम किया गया है ताकि कोई भूखा न लौटे।” वहीं जनसुराज नेता इकरामुल हक ने कहा कि पार्टी का उद्देश्य लोगों को जोड़ने और उनकी बुनियादी जरूरतों को समझने का है। इसलिए भोजन व्यवस्था को प्राथमिकता दी गई।

जनसभा में भीड़ नहीं, खाली रहीं कुर्सियां
हालांकि, भोजन की व्यवस्था जितनी आकर्षक रही, उतनी ही निराशाजनक रही बदलाव सभा में लोगों की उपस्थिति। मंच के सामने कई कुर्सियां खाली रहीं और सभा अपेक्षित भीड़ नहीं जुटा पाई। जहां एक तरफ भोजन वितरण केंद्र पर भीड़ देखी गई, वहीं जनसभा स्थल अपेक्षाकृत शांत रहा।
इस स्थिति को लेकर विपक्षी दलों ने तीखा तंज कसा है। उनके अनुसार, “अब जनता भाषणों या वादों पर नहीं, ठोस काम और जमीनी हकीकत पर भरोसा करती है। सिर्फ खाने के बल पर राजनीतिक समर्थन नहीं खरीदा जा सकता।”

प्रशांत किशोर के दावों पर उठे सवाल
प्रशांत किशोर बार-बार यह दावा करते रहे हैं कि जनसुराज पार्टी के साथ राज्य भर से हजारों कार्यकर्ता जुड़ रहे हैं और यह पार्टी बिहार की राजनीति में एक सशक्त विकल्प बनेगी। लेकिन बहादुरगंज की सभा ने इन दावों पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
सभा की खाली कुर्सियों और खाने की भीड़ ने यह संदेश दे दिया कि जनसंपर्क और जमीनी पकड़ के बीच बड़ा अंतर है। जानकारों का कहना है कि केवल रणनीति और प्रचार से ही राजनीति में गहराई तक पैठ नहीं बनाई जा सकती, जब तक जनता को ठोस परिणाम और भरोसेमंद नेतृत्व नजर न आए।
निष्कर्ष
बहादुरगंज की यह सभा पार्टी के लिए एक सबक बन सकती है कि जनसंपर्क और भीड़ जुटाने की योजनाओं से अधिक जरूरी है मुद्दों पर गंभीर संवाद और भरोसे का निर्माण। अगर जनसुराज पार्टी को सच में बिहार की राजनीति में विकल्प बनना है, तो उसे केवल आयोजनों पर नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर कार्य करने की जरूरत है।
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