पूर्णिया जिले के डगरुआ प्रखंड के बेलगच्छी पंचायत अंतर्गत गंडवास गांव स्थित मध्य विद्यालय में 9 जुलाई 2025 को एक बड़ा घोटाला सामने आया है। ग्रामीणों ने विद्यालय के प्रधानाध्यापक मोहम्मद तौकीर अहमद को स्कूल परिसर में ही व्यापारी को मध्याह्न भोजन (मिड-डे मील) के चावल बेचते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया। यह घटना क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गई है और प्रशासन पर सवाल खड़े कर रही है।

ग्रामीणों ने रोकी चावल की बिक्री, जुटाए सबूत
घटना के वक्त मौजूद ग्रामीणों ने न सिर्फ चावल की बिक्री को तुरंत रोका, बल्कि पूरे घटनाक्रम की तस्वीरें और वीडियो बनाकर साक्ष्य के रूप में संरक्षित कर लिया। इसके बाद इन साक्ष्यों को संबंधित अधिकारियों के पास शिकायत के रूप में भेजा गया। ग्रामीणों का आरोप है कि यह कोई पहली बार की घटना नहीं है। उन्होंने दावा किया कि प्रधानाध्यापक तौकीर अहमद पूर्व में भी अनियमितताओं के चलते एक अन्य स्कूल से स्थानांतरित किए गए थे।

मेन्यू के अनुसार नहीं मिल रहा था भोजन
स्थानीय लोगों का कहना है कि बच्चों को विद्यालय में मेन्यू के अनुसार भोजन नहीं दिया जा रहा था। मिड-डे मील योजना, जिसका उद्देश्य छात्रों को पौष्टिक भोजन देना है, वहां सिर्फ नाम मात्र का खाना दिया जा रहा था, जबकि चावल और अन्य सामग्री बाजार में बेची जा रही थी।

पुलिस पहुंची मौके पर, लेकिन कार्रवाई को लेकर नाराजगी
घटना की जानकारी मिलते ही डगरुआ थाना की पुलिस मौके पर पहुंची। हालांकि, ग्रामीणों ने पुलिस की कार्रवाई पर असंतोष जताया और कहा कि यह केवल औपचारिकता मात्र रही। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानाध्यापक को संरक्षण दिया जा रहा है, जिससे अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है।

जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग को सौंपा गया आवेदन
ग्रामीणों ने इस मामले में जिला पदाधिकारी, अनुमंडल पदाधिकारी और जिला शिक्षा पदाधिकारी को संयुक्त रूप से एक लिखित आवेदन दिया है। आवेदन में प्रधानाध्यापक को तत्काल प्रभाव से हटाने और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की गई है। लोगों की मांग है कि मिड-डे मील योजना जैसी संवेदनशील योजना में लापरवाही और भ्रष्टाचार को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए।
शिक्षा विभाग ने दिया जांच और कार्रवाई का आश्वासन
इस गंभीर मामले पर डगरुआ के प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी अल्ताफ अहमद खान ने कहा, “अगर जांच में आरोप सिद्ध होते हैं तो संबंधित प्रधानाध्यापक के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी। किसी को भी बच्चों के अधिकार और योजनाओं के साथ खिलवाड़ करने की छूट नहीं दी जाएगी।”
निष्कर्ष
गांव के बच्चों के भविष्य से जुड़ी योजना में गड़बड़ी को लेकर ग्रामीणों का आक्रोश पूरी तरह जायज है। चावल बेचने की घटना ने स्कूल प्रशासन की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मामला न केवल शिक्षा व्यवस्था की कमजोर निगरानी को उजागर करता है, बल्कि यह भी बताता है कि योजनाओं के नाम पर किस तरह भ्रष्टाचार हो रहा है। अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले में कितनी तत्परता और पारदर्शिता के साथ कार्रवाई करता है।
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