कटिहार– आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर जहां एक ओर चुनाव आयोग मतदाता सूची के पुनरीक्षण अभियान में जुटा हुआ है, वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने इसे लेकर एक व्यापक जनजागरूकता मुहिम की शुरुआत की है। राजद ने इस पहल को नाम दिया है – ‘मतदाता बचाओ अभियान’, जो कि मतदाता अधिकारों की रक्षा और संभावित गड़बड़ियों को लेकर लोगों को सचेत करने की दिशा में एक मजबूत प्रयास है।

अंबेडकर कॉलोनी से अभियान की शुरुआत
इस अभियान की शुरुआत रविवार को कटिहार नगर क्षेत्र के वार्ड संख्या 25 स्थित अंबेडकर कॉलोनी से की गई, जहां एससी समुदाय के सफाईकर्मियों के बीच जाकर राजद कार्यकर्ताओं ने जागरूकता फैलाने का कार्य किया। इस अभियान का नेतृत्व राजद के पूर्व प्रदेश महासचिव समरेंद्र कुणाल ने किया।

मतदाता सूची से नाम गायब होने पर चिंता
कार्यक्रम के दौरान समरेंद्र कुणाल ने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) की भूमिका अब संदेह के घेरे में है। “हर बार पुनरीक्षण अभियान के नाम पर हजारों लोगों के नाम बिना किसी सूचना या गलती के हटा दिए जाते हैं, जो कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर प्रश्नचिह्न है,” कुणाल ने कहा।
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि मतदाता फॉर्म भरवाने के बाद रसीद (रिसीविंग) देना अनिवार्य किया जाए या फिर फॉर्म पर बीएलओ और मतदाता दोनों का फोटो होना चाहिए, जिससे भविष्य में अगर कोई गड़बड़ी हो तो संबंधित अधिकारी की जवाबदेही तय की जा सके।
घर-घर जाकर सत्यापन करेगी राजद टीम
राजद नेता ने बताया कि यह अभियान नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के निर्देश पर चलाया जा रहा है। इसके अंतर्गत राजद कार्यकर्ता हर घर जाकर मतदाता सूची की जांच करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी का नाम बिना कारण सूची से न हटे।
बीएलओ का मोबाइल नंबर सार्वजनिक करने की मांग
समरेंद्र कुणाल ने यह भी मांग की कि प्रत्येक बूथ पर तैनात बीएलओ का मोबाइल नंबर सार्वजनिक किया जाए, ताकि आम मतदाता उनसे सीधे संपर्क कर सके और अपनी समस्याओं को साझा कर सके। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और गड़बड़ियों की गुंजाइश कम होगी।
समाज के वंचित तबकों पर विशेष फोकस
राजद का यह अभियान विशेष रूप से गरीब, दलित, महादलित, पिछड़ा, अतिपिछड़ा और अल्पसंख्यक समुदाय के बीच तेज़ी से चलाया जा रहा है। समरेंद्र कुणाल ने कहा कि ये वे वर्ग हैं जो अक्सर सरकारी प्रक्रियाओं में उपेक्षित रह जाते हैं, और उनके नाम सबसे पहले मतदाता सूची से गायब किए जाते हैं।
निष्कर्ष
राजद का यह अभियान राजनीतिक दृष्टि से भले ही एक रणनीति हो, लेकिन यह एक सामाजिक जिम्मेदारी के रूप में भी देखा जा रहा है। लोकतंत्र में हर मतदाता का अधिकार सर्वोपरि है, और अगर समय रहते सावधानी नहीं बरती गई तो लाखों लोग अपने मताधिकार से वंचित हो सकते हैं।
राजद ने अपने इस प्रयास को ‘सावधानी हटी, मतदाता सूची से नाम छटी’ जैसे नारों के माध्यम से जनमानस तक पहुंचाने की कोशिश की है। अब देखना यह होगा कि चुनाव आयोग इस पर क्या प्रतिक्रिया देता है और क्या अन्य राजनीतिक दल भी ऐसे ही प्रयासों से जुड़ते हैं या नहीं।
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