अररिया (बिहार): बिहार के अररिया जिले से एक बार फिर भीड़तंत्र की खौफनाक तस्वीर सामने आई है। भरगामा थाना क्षेत्र के सिबरबनी पंचायत अंतर्गत वार्ड नंबर 7 में गांव वालों ने एक युवक और महिला को खंभे से बांधकर सरेआम पीट-पीटकर तालिबानी-style सजा दी। यह घटना मानवाधिकारों और कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है।

क्या है पूरा मामला?
मिली जानकारी के अनुसार, पीड़िता का पति बाहर मजदूरी करता है। इसी दौरान शनिवार को एक कथित प्रेमी उसके घर मिलने पहुंचा। गांव वालों को इस बात की भनक लग गई और उन्होंने दोनों को घर से खींचकर बाहर लाया। फिर उन्हें बिजली के खंभे से बांधकर लाठी-डंडों से बेरहमी से पीटा गया।

वीडियो वायरल, प्रशासन हरकत में
इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो किसी ग्रामीण ने मोबाइल से बना लिया और सोशल मीडिया पर डाल दिया। वीडियो वायरल होते ही यह मामला तूल पकड़ने लगा। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि किस तरह भीड़ कानून को अपने हाथ में लेकर महिला और युवक पर हिंसा कर रही है, जबकि आसपास खड़े लोग तमाशबीन बने रहे।

पीड़ित की गुहार और पुलिस कार्रवाई
पिटाई का शिकार हुए युवक और महिला ने किसी तरह अपनी जान बचाई और भरगामा थाना पहुंचकर पूरे मामले की जानकारी दी। पीड़ितों द्वारा लिखित आवेदन देने के बाद भरगामा थाना अध्यक्ष ने त्वरित कार्रवाई करते हुए पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।
पुलिस का कहना है कि आगे की जांच जारी है और वीडियो में दिख रहे अन्य आरोपियों की पहचान कर उनके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
भीड़तंत्र पर सवाल
यह घटना न सिर्फ कानून के राज को चुनौती देती है बल्कि यह भी दिखाती है कि सामाजिक मामलों में अब भीड़ कैसे ‘इंसाफ’ करने का दावा कर खुद ही अपराध में बदल रही है। ऐसे मामलों में निष्पक्ष जांच और त्वरित न्याय बेहद आवश्यक हो जाता है ताकि दोबारा कोई इस तरह की गुंडागर्दी करने की हिम्मत न करे।
निष्कर्ष:
भीड़ द्वारा इस तरह की तालिबानी-style हिंसा न सिर्फ संविधान और कानून का उल्लंघन है, बल्कि यह सामाजिक असहिष्णुता का खतरनाक संकेत भी है। ऐसे मामलों में सिर्फ गिरफ्तारी ही नहीं, बल्कि सशक्त जनजागरूकता और कड़ी कानूनी सजा की जरूरत है।
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