किशनगंज जिले के टेउसा पंचायत अंतर्गत सीमलबाड़ी और महेशब्थना गांव की किशोरियों ने गुरुवार को अपने अधिकारों की आवाज बुलंद करते हुए जिलाधिकारी विशाल राज को ज्ञापन सौंपा। यह पहल क्रिया संगठन द्वारा संचालित ‘रोशनी’ कार्यक्रम के तहत गठित किशोरी समूह ‘शिष्य मंडल’ द्वारा की गई, जिसमें दो महत्वपूर्ण मांगें उठाई गईं — एक उच्च माध्यमिक विद्यालय की स्थापना और विद्यालयों में शौचालय की स्थिति में सुधार।

आठ महीने से चल रहा है जागरूकता अभियान
बता दें कि समाजसेवी रोशनी परवीन के नेतृत्व में क्रिया संगठन के सहयोग से सीमलबाड़ी और महेशब्थना गांव में पिछले 8 महीनों से महिलाओं और किशोरियों के बीच संविधान, बाल विवाह, शिक्षा और महिला अधिकारों को लेकर लगातार जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इस पहल का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में किशोरियों को आत्मनिर्भर बनाना और उन्हें उनके संवैधानिक अधिकारों से परिचित कराना है।

ज्ञापन में रखी गईं ये प्रमुख मांगें
‘शिष्य मंडल’ की किशोरियों ने डीएम को सौंपे गए पहले ज्ञापन में सीमलबाड़ी और आस-पास के क्षेत्रों में कक्षा 8 के बाद की शिक्षा के लिए उच्च माध्यमिक विद्यालय की आवश्यकता पर जोर दिया। उनका कहना था कि क्षेत्र में 8वीं कक्षा के बाद कोई भी स्कूल उपलब्ध नहीं है, जिससे लड़कियाँ आगे की पढ़ाई से वंचित हो जाती हैं। नतीजतन, बाल विवाह के मामले बढ़ते जा रहे हैं, जो कि किशोरियों के विकास और अधिकारों के लिए गंभीर बाधा बन रहे हैं।
दूसरे ज्ञापन में सीमलबाड़ी के स्कूलों में शौचालयों की बदहाल स्थिति को लेकर चिंता जाहिर की गई। किशोरियों ने बताया कि विद्यालयों में साफ-सफाई, जल आपूर्ति और सुरक्षित शौचालयों की भारी कमी है, जिससे उन्हें शारीरिक और मानसिक असुविधा का सामना करना पड़ता है। उन्होंने मांग की कि शौचालयों की नियमित सफाई, पेयजल की उपलब्धता और महिलाओं के लिए सुरक्षित शौचालयों की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।

समाजसेवी रोशनी परवीन की अपील
मीडिया से बातचीत में समाजसेवी रोशनी परवीन ने कहा कि क्रिया संगठन बिहार के विभिन्न जिलों में संविधान और महिलाओं के अधिकारों को लेकर जमीनी स्तर पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा,
“हमारा लक्ष्य है कि हर महिला और किशोरी को उसके अधिकारों के बारे में जानकारी हो और वह समाज में आत्मविश्वास से खड़ी हो सके। किशनगंज जिले के कई गांवों में बच्चियाँ अब भी शिक्षा और मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं, इसीलिए हमारी लड़कियाँ अब खुद आगे आकर प्रशासन से बदलाव की मांग कर रही हैं। यह बदलाव की शुरुआत है।”
प्रशासन से अपेक्षा
ज्ञापन सौंपने के दौरान उपस्थित किशोरियों ने उम्मीद जताई कि प्रशासन उनकी मांगों को गंभीरता से लेगा और जल्द से जल्द इन बुनियादी समस्याओं का समाधान करेगा। किशोरियों की इस पहल ने यह संदेश भी दिया कि अगर सही दिशा में मार्गदर्शन मिले, तो ग्रामीण भारत की बेटियाँ भी समाज में नेतृत्व की भूमिका निभा सकती हैं।
निष्कर्ष:
यह सिर्फ ज्ञापन सौंपने की कार्यवाही नहीं थी, बल्कि किशनगंज की बेटियों द्वारा अपने अधिकारों के लिए उठाया गया साहसिक कदम था। ‘रोशनी’ जैसे कार्यक्रम और क्रिया संगठन जैसी संस्थाओं की पहल से सामाजिक बदलाव की नई रोशनी दिखाई दे रही है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इन मांगों को कितना जल्दी और कितनी गंभीरता से पूरा करता है।
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