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पूर्णिया में आधी रात फहराया गया तिरंगा

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पूर्णिया (बिहार)। जब पूरा देश 15 अगस्त की सुबह का इंतजार करता है, तब बिहार के पूर्णिया जिले में एक ऐतिहासिक परंपरा के तहत 14 अगस्त की मध्य रात्रि को ही स्वतंत्रता दिवस का जश्न शुरू हो जाता है। इसी क्रम में इस वर्ष भी 79वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर भट्टा बाजार स्थित ऐतिहासिक झंडा चौक पर रात 12:01 बजे ध्वजारोहण कर आजादी का उत्सव मनाया गया।

यह परंपरा 14 अगस्त 1947 से चली आ रही है, जब भारत की आजादी की घोषणा ठीक रात 12:01 बजे रेडियो पर हुई थी। इसके तुरंत बाद पूर्णिया के स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर प्रसाद सिंह, रामरतन साह और शमशुल हक ने झंडा चौक पर आधी रात को तिरंगा फहराया था। तब से लेकर आज तक यह परंपरा बिना रुके जारी है।

इस वर्ष भी ध्वजारोहण समारोह में स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर प्रसाद सिंह के पोते विपुल प्रसाद सिंह ने ध्वज फहराया। समारोह में सदर विधायक विजय खेमका, मेयर विभा कुमारी, मेयर पति जितेंद्र यादव, समाजसेवी दिलीप कुमार दीपक, फ्लैग मैन अनिल कुमार चौधरी समेत बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता और स्थानीय नागरिक मौजूद रहे।

पूर्णिया में आधी रात फहराया गया तिरंगा
पूर्णिया में आधी रात फहराया गया तिरंगा

ऐतिहासिक झंडा चौक बना देशभक्ति का रंगमंच

पूर्णिया का झंडा चौक इस मौके पर रंग-बिरंगी लाइटों, झालरों और तिरंगों से सजाया गया था। देशभक्ति गीतों की गूंज और बच्चों द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने माहौल को और भी जीवंत बना दिया। पारंपरिक परिधानों में सजे बच्चों ने देशभक्ति गीतों पर मनमोहक प्रस्तुतियां दीं, जिसे देखकर लोग भाव-विभोर हो उठे।

हर उम्र और वर्ग के लोग — बच्चे, युवा, महिलाएं और बुजुर्ग — सभी देशभक्ति के रंग में रंगे नजर आए। राष्ट्रगान के साथ ध्वजारोहण हुआ और पूरा इलाका “भारत माता की जय” और “वंदे मातरम” के नारों से गूंज उठा। स्थानीय लोगों ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर आजादी का पर्व मनाया।

पूर्णिया में आधी रात फहराया गया तिरंगा
पूर्णिया में आधी रात फहराया गया तिरंगा

राजकीय दर्जे की मांग हुई तेज

समारोह के दौरान विधायक विजय खेमका और मेयर विभा कुमारी ने इस ऐतिहासिक परंपरा को राजकीय समारोह का दर्जा देने की मांग दोहराई। उन्होंने कहा कि पूर्णिया बाघा बॉर्डर के बाद देश का एकमात्र ऐसा स्थान है, जहां सबसे पहले आजादी का जश्न मनाया जाता है। यह परंपरा न सिर्फ पूर्णिया की, बल्कि पूरे बिहार और देश की विरासत है, जिसे संरक्षित और मान्यता प्राप्त होनी चाहिए।

पूर्णिया में आधी रात फहराया गया तिरंगा
पूर्णिया में आधी रात फहराया गया तिरंगा

परंपरा से जुड़ी भावनाएं

ध्वजारोहण के बाद विपुल प्रसाद सिंह ने कहा, “मेरे दादा और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों ने 1947 की आधी रात को भारत की आजादी की घोषणा के तुरंत बाद झंडा चौक पर तिरंगा फहराया था। उस परंपरा को हम हर साल जारी रखते हैं। यह हमारे लिए गर्व का विषय है।”

फ्लैग मैन अनिल चौधरी ने बताया कि यह आयोजन सिर्फ एक रस्म नहीं है, बल्कि यह पूर्णिया वासियों के लिए गौरव और एकता का प्रतीक है। “लोग चाहे देश-विदेश में कहीं भी हों, वे 14 अगस्त की रात को इस ऐतिहासिक क्षण का हिस्सा बनने के लिए लौटते हैं,” उन्होंने कहा।


निष्कर्ष:
पूर्णिया की यह अनूठी परंपरा न सिर्फ ऐतिहासिक है, बल्कि यह देशभक्ति, एकता और बलिदान की भावना को पीढ़ी दर पीढ़ी संजोए हुए है। अब समय आ गया है कि बिहार सरकार और केंद्र सरकार इस आयोजन को राजकीय मान्यता देकर इसे राष्ट्रीय पहचान प्रदान करें।

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