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 किशनगंज में कनकई नदी का कहर: 60 एकड़ जमीन बह गई

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किशनगंज, बिहार: सीमावर्ती जिले किशनगंज के दिघलबैंक प्रखंड में कनकई और बूढ़ी कनकई नदियों के भीषण कटाव से हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। भारी बारिश और नदियों के उफान के कारण कई गांवों में जमीन कटाव की रफ्तार इतनी तेज हो गई है कि खेत, घर और रास्ते तक नदी में समा चुके हैं। अब तक करीब 60 एकड़ उपजाऊ कृषि भूमि नदी की गर्त में समा चुकी है, जबकि 30 से अधिक परिवारों को अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन करना पड़ा है।

 किशनगंज में कनकई नदी का कहर: 60 एकड़ जमीन बह गई
किशनगंज में कनकई नदी का कहर: 60 एकड़ जमीन बह गई

प्रभावित गांवों में त्राहिमाम

सबसे अधिक नुकसान सिंघीमारी पंचायत के मंदिर टोला, बलुवाडांगी (वार्ड 4), डाकोपोडा और पलसा गांवों में हुआ है। नदी का कटाव इतनी तेजी से हो रहा है कि ग्रामीणों को अपनी जमीन और घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा है। बलुवाडांगी और मंदिर टोला के कई परिवारों ने अपने घरों को खाली कर, पास के ऊंचे इलाकों में शरण ली है।

पत्थरघट्टी पंचायत के कासीबारी, बच्चा गुवाबारी, बड़ा गुवाबारी, दोदरा और संथाल टोला दोदरा जैसे गांवों में भी हालात गंभीर हैं। यहां भी कटाव से कई घरों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। स्थानीय लोगों के अनुसार, करीब 5000 लोग इस आपदा से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुए हैं।

 किशनगंज में कनकई नदी का कहर: 60 एकड़ जमीन बह गई
किशनगंज में कनकई नदी का कहर: 60 एकड़ जमीन बह गई

प्रशासन के प्रयासों पर सवाल

इस संकट के बीच जिलाधिकारी विशाल राज ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और बाढ़ नियंत्रण विभाग को निर्देश दिया कि रेत से भरे बोरे, पत्थर पिचिंग और गेबियन स्ट्रक्चर जैसी अस्थायी तकनीकों से कटाव रोकने की कोशिश की जाए।

हालांकि, ग्रामीण प्रशासन की इन कोशिशों को “अस्थायी और अपर्याप्त” बता रहे हैं। उनका कहना है कि हर साल यही हालात होते हैं लेकिन स्थायी समाधान अब तक नहीं किया गया है।

राजनीतिक प्रतिक्रिया

स्थानीय विधायक सऊद असरार ने इस मुद्दे पर प्रशासन को कठघरे में खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि “प्रशासनिक लापरवाही” के कारण ही स्थिति इतनी भयावह हुई है। उन्होंने सरकार से आपात राहत और स्थायी पुनर्वास योजना लागू करने की मांग की है।

ग्रामीणों की मांग

प्रभावित ग्रामीणों का कहना है कि जब तक सरकार ठोस योजना के तहत स्थायी तटबंध, पुनर्वास कॉलोनियां और सिंचाई के वैकल्पिक साधन विकसित नहीं करती, तब तक हर साल इसी तरह वे अपनी मेहनत की जमीन और घर गंवाते रहेंगे।

निष्कर्ष

कनकई और बूढ़ी कनकई नदियों का कटाव किशनगंज जिले के लिए कोई नया संकट नहीं है, लेकिन हर साल यह आपदा और बड़ी होती जा रही है। यदि सरकार और प्रशासन ने समय रहते स्थायी समाधान नहीं निकाला, तो आने वाले समय में यह संकट और गंभीर रूप ले सकता है।

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