भागलपुर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगामी बिहार दौरे से पहले जन सुराज के संस्थापक और चुनाव रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। शुक्रवार को भागलपुर में पत्रकारों से बात करते हुए प्रशांत किशोर ने पीएम मोदी के हालिया बिहार दौरों को “खर्चीले मगर बेनतीजा” बताया और सवाल उठाया कि आखिर बिहार की जमीनी समस्याओं पर प्रधानमंत्री चुप क्यों हैं।

प्रशांत किशोर ने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी पिछले 3 से 4 महीनों में तीन बार बिहार आ चुके हैं। उनके हर दौरे पर बिहार की गरीब जनता के करोड़ों रुपये खर्च हुए हैं। लेकिन इन दौरों से बिहार को क्या मिला?”
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने न तो बेरोजगारी के मसले पर कोई ठोस बात की, न ही बिहार से हो रहे पलायन को रोकने के लिए कोई रणनीति साझा की। किशोर ने सवाल करते हुए कहा, “बिहार में बेरोजगारी कैसे खत्म होगी? बिहार से पलायन कब रुकेगा? बिहार के बच्चों को मजदूरी के लिए गुजरात कब नहीं जाना पड़ेगा?”

प्रशांत किशोर का आरोप है कि प्रधानमंत्री मोदी बिहार की मूलभूत समस्याओं पर गंभीर नहीं हैं। उन्होंने कहा, “पिछले 15 सालों से पीएम मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं, लेकिन अभी तक उन्होंने बिहार से पलायन रोकने के लिए कोई ठोस काम नहीं किया है। बाढ़ जैसी समस्या, जो हर साल लाखों लोगों की जिंदगी को प्रभावित करती है, उसका भी कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला गया है।”
उन्होंने प्रधानमंत्री के दौरों को केवल “राजनीतिक रैलियों और प्रचार” तक सीमित बताया और कहा कि इन यात्राओं से राज्य को व्यावहारिक रूप से कोई लाभ नहीं मिल रहा।
किशोर ने यह भी दावा किया कि बिहार की जनता अब बदलाव चाहती है। उन्होंने कहा, “बिहार की जनता मन बना चुकी है। उसे अब भाषण नहीं, समाधान चाहिए। लोग अब समझ चुके हैं कि केवल नारों से बिहार का भला नहीं होने वाला।”
प्रशांत किशोर लंबे समय से बिहार में “जन सुराज पदयात्रा” के माध्यम से लोगों से संवाद कर रहे हैं और एक वैकल्पिक राजनीतिक मंच तैयार कर रहे हैं। उनके बयान ऐसे समय पर आए हैं जब राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट तेज़ होती जा रही है और राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुटे हैं।
राजनीतिक विश्लेषण
प्रशांत किशोर की यह टिप्पणी प्रधानमंत्री के दौरे के ठीक पहले आना, राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह स्पष्ट संकेत है कि जन सुराज आगामी चुनावों में केंद्र की नीतियों को प्रमुख मुद्दा बनाकर सरकार को घेरने की रणनीति पर काम कर रहा है।
बिहार में रोजगार, पलायन, शिक्षा और बाढ़ जैसे मुद्दे लंबे समय से चर्चा में हैं, लेकिन अब विपक्षी नेताओं द्वारा इन पर तीखे सवाल उठाने से आगामी चुनावी समर में इन मुद्दों की गंभीरता और बढ़ सकती है।
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