किशनगंज सदर अस्पताल में स्वच्छता की स्थिति चिंताजनक स्तर पर पहुँच गई है। अस्पताल परिसर के सबसे संवेदनशील हिस्से पोस्टमॉर्टम रूम के ठीक बगल में पिछले कई दिनों से मेडिकल वेस्ट और गंदगी का विशाल ढेर जमा है। इस कचरे में इस्तेमाल की गई सिरिंज, ड्रेसिंग सामग्री, ग्लव्स और अन्य बायोमेडिकल वेस्ट खुले में सड़ रहे हैं, जिससे चारों ओर तीखी दुर्गंध फैल रही है। अस्पताल आने वाले मरीजों, उनके परिजनों और स्टाफ के लिए यह स्थिति बेहद असहज और खतरनाक हो गई है।

मरीज और स्टाफ दोनों परेशान, सांस लेना मुश्किल
अस्पताल में इलाज के लिए आए कई लोगों ने शिकायत की कि बदबू इतनी तेज है कि सांस लेना मुश्किल हो रहा है। एक मरीज ने बताया—
“छोटे बच्चे और बुजुर्ग इस बदबू से बहुत परेशान हो रहे हैं। अस्पताल जैसा स्थान होना चाहिए साफ-सुथरा, लेकिन यहाँ हालत उलट है।”
इस तरह की दुर्गंध और गंदगी न केवल वहां मौजूद लोगों के लिये मुश्किलें खड़ी कर रही है, बल्कि अस्पताल परिसर में संक्रमण फैलने का खतरा भी कई गुना बढ़ा देती है।

कचरा उठाने वाले ठेकेदार पर आरोप— ‘नियमित सफाई नहीं’
अस्पताल के एक कर्मचारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि कचरा उठाने का ठेका तो दिया गया है, लेकिन ठेकेदार नियमित सफाई नहीं करता।
उन्होंने कहा—
“कई बार शिकायत करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इतने दिनों से कचरा ऐसे ही पड़ा हुआ है। यह गंभीर लापरवाही है।”
यह बयान अस्पताल प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े करता है, क्योंकि संवेदनशील पोस्टमॉर्टम क्षेत्र के ठीक बगल में इतना कचरा जमा होना उनकी निगरानी और सफाई व्यवस्था की विफलता को दर्शाता है।

स्थानीय लोगों में भी रोष, संक्रमण की आशंका बढ़ी
अस्पताल के आसपास रहने वाले लोगों ने भी इस स्थिति पर नाराज़गी जताई है। उनका कहना है कि बायोमेडिकल कचरे का खुले में पड़ा रहना गंभीर संक्रमण फैला सकता है, जो कि पूरे इलाके को प्रभावित कर सकता है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि अस्पताल प्रशासन इस मुद्दे पर पूरी तरह लापरवाह दिख रहा है।
अब प्रशासन की जवाबदेही पर उठे सवाल
किशनगंज जैसे जिले में जहां चिकित्सा सुविधाएँ पहले से सीमित हैं, वहाँ अस्पताल परिसर में इस स्तर की गंदगी और उपेक्षा गंभीर मुद्दा है।
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि जिला प्रशासन और अस्पताल प्रबंधन इस समस्या के समाधान के लिए कितनी जल्दी और कितने प्रभावी कदम उठाते हैं।











