किशनगंज: बिहार चिकित्सा एवं जन स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के बैनर तले राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत कार्यरत सैकड़ों कर्मी पिछले एक महीने से अपनी दस सूत्री मांगों को लेकर हड़ताल पर डटे हुए हैं। इस हड़ताल के कारण राज्य भर में स्वास्थ्य सेवाओं पर गहरा असर पड़ा है।

कर्मियों ने किशनगंज के अंबेडकर टाउन हॉल के समीप धरना प्रदर्शन आयोजित किया और राज्य सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों का मुख्य आक्रोश समान काम के लिए समान वेतन की उनकी मांग को लेकर है। संघ के प्रतिनिधियों ने आरोप लगाया है कि सरकार संविदा कर्मियों के प्रति दोहरी नीति अपना रही है, जिससे उनकी स्थिति में असमानता और भेदभाव उत्पन्न हो रहा है।

आंदोलनकारी कर्मियों का कहना है कि एफआरएएस सिस्टम के तहत एटेंडेंस केवल संविदा कर्मियों के लिए लागू किया गया है, जबकि नियमित कर्मियों के लिए यह प्रावधान लागू नहीं है। इससे कर्मियों में असंतोष और निराशा बढ़ रही है। उन्होंने सरकार से यह भी अपील की है कि संविदा और नियमित कर्मियों के बीच भेदभाव को समाप्त किया जाए और समान काम के लिए समान वेतन सुनिश्चित किया जाए।

कर्मियों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर शीघ्र विचार नहीं किया गया, तो वे पटना में उग्र आंदोलन का रास्ता अपनाने के लिए मजबूर होंगे। उनकी इस चेतावनी से राज्य सरकार के समक्ष एक गंभीर चुनौती उत्पन्न हो गई है। इस स्थिति में सुधार लाने के लिए और कर्मचारियों की जायज मांगों पर ध्यान देने के लिए सरकार को तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में स्थिरता और सुधार सुनिश्चित किया जा सके।
