कटिहार, बिहार में गंगा और कोशी नदियों के संगम पर मछुआरों को बड़ी सफलता मिली है। रविवार सुबह मछुआरों ने दो विशाल बघार मछलियां पकड़ीं, जिनका वजन क्रमशः 40 किलो और 35 किलो था। इन मछलियों के पकड़े जाने से स्थानीय मछुआरे बेहद खुश हैं और यह घटना क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गई है। इन मछलियों को देखने के लिए आसपास के इलाकों से बड़ी संख्या में लोग पहुंच गए, जिससे मौके पर भारी भीड़ जमा हो गई।

कुरसेला क्षेत्र: मछली उत्पादन का प्रमुख केंद्र
यह घटना कुरसेला क्षेत्र में हुई, जो मछली उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। यहां की नदियों में मछली पालन की बेहतर संभावनाएं हैं, जो मछुआरों के लिए बड़ी राहत प्रदान करती हैं। इस क्षेत्र की नदियों में मछली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए जिला प्रशासन ने पहले ही रिवर रेचिंग कार्यक्रम के तहत गंगा और कोशी नदी में मछली के बीज डाले थे। यह कार्यक्रम मछली पालन को बढ़ावा देने और मछुआरों की आजीविका सुधारने के उद्देश्य से चलाया गया था।

मछुआरों का उत्साह और खुशहाली
इन बीजों को मछुआरों ने कई महीनों तक अपनी मेहनत से पालित किया और अब यह मछलियां पकड़ी गई हैं। मछुआरों का कहना है कि यह उनकी मेहनत का फल है, और इतनी बड़ी मछलियां पकड़ने से उनका उत्साह और बढ़ गया है। इस घटना को मछुआरों के लिए एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि इतने बड़े आकार की मछलियां पकड़ना एक दुर्लभ घटना मानी जाती है।
स्थानीय लोगों का उत्साह
स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने इस इलाके में पहली बार इतनी बड़ी मछलियां देखी हैं। कुछ ने इसे मछुआरों के लिए एक बड़ी सफलता बताया, जबकि अन्य ने इसे गंगा-कोशी क्षेत्र के लिए एक अच्छी खबर करार दिया। लोगों का मानना है कि इस क्षेत्र का जलवायु और पर्यावरण मछली उत्पादन के लिए बहुत उपयुक्त है, और यहां मछलियों की मांग भी बहुत अधिक रहती है।
इस घटना ने गंगा और कोशी नदियों के संगम पर मछली पालन और उत्पादन के महत्व को एक बार फिर से उजागर किया है। अब मछुआरों को उम्मीद है कि इससे मछली पालन में और भी वृद्धि होगी और उनकी मेहनत का सही मूल्य मिलेगा।
अधिक नवीनतम समाचारों के लिए पढ़ें JebNews