जमीनी विवाद किस हद तक इंसानियत को शर्मसार कर सकता है, इसका दर्दनाक उदाहरण मिला है किशनगंज जिले के पोठिया थाना क्षेत्र के गोरुखाल पंचायत अंतर्गत जागीरगच्छ गांव में, जहां महज चार डिसमिल जमीन के विवाद में एक परिवार पर कहर टूट पड़ा है।
इस विवाद में गांव के निवासी मुहम्मद हिसाब उद्दीन पिछले एक महीने से अस्पताल में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं। उनका आरोप है कि गांव के ही मुस्लिम नामक व्यक्ति ने दर्जनों लोगों के साथ मिलकर उन पर जानलेवा हमला किया था।

विवाद की जड़: बहन की बेची गई ज़मीन
घटना की शुरुआत तब हुई जब हिसाब उद्दीन की बहन ने अपनी चार डिसमिल जमीन गांव के मुस्लिम को बेच दी। लेकिन जमीन पर कब्जा लेने को लेकर विवाद शुरू हुआ। हिसाब उद्दीन का कहना है कि वे जमीन के मालिकाना हक से इनकार नहीं कर रहे, लेकिन मुस्लिम जिस ज़मीन पर दावा कर रहा है, वह उनके हिस्से की कीमती ज़मीन है।

लोहे की सरिया से बेरहमी से पीटा गया
हिसाब उद्दीन के बेटे के मुताबिक, एक माह पूर्व जब वे अपने खेत में काम कर रहे थे, तब मुस्लिम दर्जनों लोगों को लेकर आए और अचानक हमला बोल दिया।
“मेरे पिता, मैं और घर की महिलाएं – सबको बेरहमी से पीटा गया। पिताजी के सिर पर लोहे की सरिया से वार किया गया, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए,” बेटे ने बताया।

घर में घुसकर महिलाओं से दुर्व्यवहार
हिसाब उद्दीन की पुत्री ने आरोप लगाया कि आरोपियों ने घर में घुसकर महिलाओं के साथ भी दुर्व्यवहार किया और पिटाई की।
“हम पिछले एक महीने से डर के साए में जी रहे हैं। प्रशासन से मदद की उम्मीद थी, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ,” उन्होंने रोते हुए कहा।

पैसे खत्म, इलाज अधूरा
हिसाब उद्दीन का परिवार अब आर्थिक तंगी से भी जूझ रहा है। बेटे ने कहा कि इलाज में घर की सारी जमा पूंजी खत्म हो चुकी है।
“अब हमारे पास इलाज के लिए पैसे नहीं हैं। पिताजी की हालत नाजुक है, लेकिन सरकार या प्रशासन से कोई मदद नहीं मिल रही,” उनका दर्द छलक पड़ा।

पुलिस की लापरवाही पर सवाल
पीड़ित परिवार ने पोठिया थाना में एक माह पूर्व एफआईआर दर्ज कराई थी, लेकिन अब तक एक भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
परिवार का आरोप है कि पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी है, जबकि हमलावर खुलेआम घूम रहे हैं।
प्रशासन का पक्ष
किशनगंज एसपी ने बयान जारी कर कहा,
“मामले में दोनों पक्षों ने प्राथमिकी दर्ज कराई है। घायल व्यक्ति इलाजरत है और जांच जारी है। अभियुक्तों के खिलाफ वारंट लिया जा रहा है और गिरफ्तारी जल्द की जाएगी।”
सवाल बाकी हैं
सवाल यह है कि क्या महज चार डिसमिल जमीन के लिए किसी की जान इतनी सस्ती हो सकती है?
क्या गरीब परिवारों को न्याय के लिए तड़पते रहना ही उनकी नियति बन गई है?
कानून और व्यवस्था पर उठते सवालों के बीच, हिसाब उद्दीन का परिवार अब भी उम्मीद लगाए बैठा है – कि शायद कहीं से इंसाफ की कोई किरण रोशनी बनकर आए।
अधिक ताजा खबरों के लिए पढ़ें JebNews