कटिहार— बिहार में वक्फ कानून को लेकर जारी विवाद के बीच सीमांचल की राजनीति में बड़ा मोड़ आया है। कोचाधामन विधानसभा सीट से पूर्व विधायक मास्टर मुजाहिद ने जनता दल यूनाइटेड (JDU) से इस्तीफा देकर राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। उनके इस फैसले को लेकर जेडीयू के कटिहार जिला प्रवक्ता इम्तियाज हैदर ने तीखी प्रतिक्रिया दी है और इस्तीफे को “महत्वहीन” करार दिया है।

जेडीयू प्रवक्ता ने किया पलटवार, बताया ‘महत्वाकांक्षा से प्रेरित कदम’
प्रवक्ता इम्तियाज हैदर ने मीडिया से बात करते हुए कहा,
“चुनावी मौसम है, ऐसे में लोगों का आना-जाना लगा रहता है। लेकिन यह मान लेना कि पार्टी छोड़ना किसी समस्या का समाधान है, गलत है। मास्टर मुजाहिद का इस्तीफा व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा का नतीजा है।”
उन्होंने आरोप लगाया कि मुजाहिद पार्टी में रहते हुए भी अपने निजी स्वार्थों को प्राथमिकता देते रहे, और अब जब वह इस्तीफा देकर दूसरी पार्टी में शामिल हो रहे हैं, तो उनकी राजनीतिक मंशा स्पष्ट होती है।

“CAA-NRC के दौरान क्यों नहीं दिया इस्तीफा?” — हैदर का सवाल
जिला प्रवक्ता ने मास्टर मुजाहिद की “राजनीतिक ईमानदारी” पर सवाल उठाते हुए कहा,
“जब देश में CAA और NRC जैसे संवेदनशील मुद्दे छाए हुए थे, और अगर उन्हें वास्तव में पार्टी की नीतियों से असहमति थी, तो उस समय उन्होंने इस्तीफा क्यों नहीं दिया?”
हैदर ने यह भी जोड़ा कि मुजाहिद अब जिस राजनीतिक दल में शामिल होने जा रहे हैं, वहां पहले से ही जगह भरी हुई है। ऐसे में वहां उन्हें कितना महत्व मिलेगा, यह देखना बाकी है।
नीतीश कुमार को बताया ‘सेकुलर और निर्णायक नेता’
इम्तियाज हैदर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की धर्मनिरपेक्ष छवि और उनकी प्रशासनिक सख्ती का समर्थन करते हुए कहा कि
“नीतीश कुमार किसी भी हालात में कानून-व्यवस्था से समझौता नहीं करते। भागलपुर दंगे की आशंका के दौरान उन्होंने तत्कालीन केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे को जेल भेजने से भी परहेज नहीं किया था।”
उन्होंने मुख्यमंत्री को “सेकुलर नेता” बताते हुए कहा कि नीतीश कुमार बिहार की 14 करोड़ जनता के लिए लगातार काम कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे।
सीमांचल की राजनीति में नई रणनीति की आहट
पूर्व विधायक मास्टर मुजाहिद का यह इस्तीफा सीमांचल क्षेत्र, विशेष रूप से मुस्लिम मतदाताओं वाले इलाकों में राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकता है। हालांकि जेडीयू इसे कोई बड़ा झटका मानने को तैयार नहीं दिख रही है, लेकिन यह साफ है कि आगामी चुनावों में सीमांचल की राजनीति पर इसकी गूंज सुनाई दे सकती है।
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