अररिया: जिस अस्पताल को करोड़ों की लागत और प्रशासनिक घोषणा के साथ ‘मॉडल अस्पताल’ का दर्जा दिया गया, वह अब खुद एक गंभीर चिकित्सीय संकट से जूझता नजर आ रहा है। अररिया का सदर अस्पताल इन दिनों बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव और कुप्रबंधन का जीता-जागता उदाहरण बन गया है।

ECG मशीन ‘खराब’, पर अगले दिन ‘ठीक’ — सवालों में घिरा स्टाफ
सोमवार की रात अस्पताल की इमरजेंसी में भर्ती किए गए एक हाई ब्लड प्रेशर के मरीज के साथ हुई लापरवाही ने अस्पताल की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मरीज को चिकित्सकों ने सीटी स्कैन और ईसीजी की सलाह दी, लेकिन ड्यूटी पर मौजूद जीएनएम राधेश्याम बिश्नोई ने ईसीजी मशीन खराब होने की बात कहकर जांच से मना कर दिया।
हैरानी की बात यह रही कि अगले ही दिन अस्पताल प्रबंधन ने दावा किया कि ईसीजी मशीन पूरी तरह कार्यरत है और उसमें कोई खराबी नहीं है। इस विरोधाभासी बयान से स्पष्ट होता है कि या तो स्टाफ अपने कर्तव्यों में लापरवाह है या फिर जानबूझकर मरीजों को परेशान किया जा रहा है।

मरीजों को जरूरी दवाएं भी नहीं, बाहर से मंगवाने को मजबूर
घटनास्थल पर मौजूद परिजनों ने बताया कि मरीज के लिए ब्लड प्रेशर नियंत्रित करने वाली जरूरी दवा ‘डिपिन’ भी उपलब्ध नहीं कराई गई। जीएनएम ने कहा कि दवा अस्पताल में नहीं है और परिजन को बाहर से लाने को कहा। जबकि बाद में अस्पताल प्रबंधक ने स्वीकार किया कि दवा अस्पताल के स्टॉक में मौजूद थी।
यह लापरवाही न केवल मरीज की जान के साथ खिलवाड़ है, बल्कि अस्पताल प्रबंधन की जवाबदेही पर भी बड़ा प्रश्नचिह्न है।

गर्मी में एसी फेल, इमरजेंसी वार्ड बना ‘तंदूर’
इन दिनों पड़ रही भीषण गर्मी ने अस्पताल में इलाजरत मरीजों की हालत और खराब कर दी है। इमरजेंसी वार्ड में लगे एयर कंडीशनर में से कई खराब पड़े हैं, और वार्ड में गर्मी से बेहाल मरीज तड़पते नजर आते हैं। खासकर हाई बीपी व कार्डियक मरीजों के लिए यह हालात बेहद खतरनाक साबित हो सकते हैं।
प्रबंधन पर कार्रवाई नहीं, आरोपों में घिरा ‘कमीशन का खेल’
घटना की जानकारी अस्पताल प्रशासन को देने के बावजूद ड्यूटी पर लापरवाही बरतने वाले जीएनएम पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। आरटीआई कार्यकर्ता प्रसेनजीत कृष्ण ने आरोप लगाया है कि अस्पताल में स्टाफ, प्रबंधन और बिचौलियों का गठजोड़ बन गया है, जो मरीजों के अधिकारों की अनदेखी कर रहा है।
उन्होंने यह भी दावा किया कि अगर अस्पताल में सारी सुविधाएं उपलब्ध करवा दी जाएं, तो बाहर से सेवाएं खरीदने की ज़रूरत खत्म हो जाएगी, जिससे कथित ‘कमीशन का खेल’ बाधित होगा — और शायद यही वजह है कि व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने में जानबूझकर देरी की जा रही है।
लोगों की मांग: जवाबदेही तय हो, व्यवस्थाएं सुधारी जाएं
जिले के लोगों ने मॉडल अस्पताल से बेहतर सुविधाओं की उम्मीद की थी, लेकिन जो हालात सामने आ रहे हैं, वे निराशाजनक हैं। आम जनता और मरीजों के परिजनों ने मांग की है कि अस्पताल में स्टाफ की कमी को दूर किया जाए, मशीनों और दवाओं की नियमित जांच हो, और अस्पताल प्रबंधन को सीधी जवाबदेही के तहत लाया जाए।
अस्पताल प्रबंधक का बयान
मामले को लेकर जब अस्पताल प्रबंधक विकास आनंद से सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि यदि ऐसी कोई स्थिति थी, तो उन्हें फोन कर सूचित किया जाना चाहिए था। उन्होंने यह जरूर माना कि घटना की जानकारी मिलने के बाद संबंधित जीएनएम को फटकार लगाई गई है।
निष्कर्ष
अगर समय रहते अस्पताल प्रबंधन ने सुधारात्मक कदम नहीं उठाए, तो ‘मॉडल अस्पताल’ का दर्जा महज एक दिखावा बनकर रह जाएगा, और आम जनता की उम्मीदें एक बार फिर व्यवस्था की अनदेखी में कुचली जाएंगी।
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