कोचाधामन प्रखंड के बोहिता गांव निवासी और दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत रकीब आलम ने अपने ही पिता मोहम्मद आरिफ पर बेहद गंभीर आरोप लगाते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग समेत बिहार के डीजीपी और किशनगंज एसपी को भी आवेदन देकर न्याय की अपील की है। शिकायत के अनुसार, रकीब आलम के पिता ने लगभग 45 वर्षों से उनकी माँ पर लगातार शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक अत्याचार किए। इस दौरान रकीब आलम की माता रुकैया खातून को घरेलू हिंसा, दहेज की लगातार माँग, बहुविवाह, तीन तलाक और गैर इस्लामी हलाला जैसी गैरकानूनी प्रथाओं का उत्पीड़न झेलना पड़ा।

शिकायत में यह भी उल्लेख है कि करीब 31 वर्ष पहले उनकी माँ को तीन तलाक दे दिया गया था, इसके बावजूद पिता मोहम्मद आरिफ ने धार्मिक और कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए उन्हें जबरन ससुराल में ही रखा। इससे पीड़िता को हृदय रोग, अवसाद और रीढ़ की बीमारियों जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्हें उचित इलाज नहीं दिलाया गया। बेटे द्वारा दिल्ली में इलाज कराने के प्रयासों में भी पिता द्वारा बाधा डालने, बदनाम करने और धमकियाँ देने का आरोप लगाया गया है। तीन तलाक का मामला अपने आप में संवेदनशील और कानूनी दृष्टि से महत्वपूर्ण है, जिस पर देश में पहले से लंबी कानूनी बहस और कार्यवाही चल रही है। ऐसे में तीन तलाक दिए जाने के बावजूद महिला को वर्षों तक उसी वैवाहिक बंधन में रखना न केवल गंभीर मानवाधिकार हनन प्रतीत होता है, बल्कि कानूनी दृष्टि से भी गंभीर प्रश्न उठाता है। प्रोफेसर रकीब आलम ने NHRC, बिहार के डीजीपी और किशनगंज एसपी समेत कई वरिष्ठ अधिकारियों को आवेदन देकर माँ को न्याय दिलाने और घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न तथा अवैध वैवाहिक दबाव के विरुद्ध सख़्त कार्रवाई की माँग की है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की पीठ ने मामले की गंभीरता को देखते हुए मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा 12 के तहत संज्ञान लिया है। आयोग ने बिहार के पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर शिकायत में लगाए गए आरोपों की जाँच कराने और दो सप्ताह के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। शिकायत की प्रति भी संबंधित अधिकारियों को भेज दी गई है।
