किशनगंज: महिलाओं के कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न निवारण अधिनियम 2013 (POSH Act) के प्रभावी क्रियान्वयन को लेकर किशनगंज जिले के निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया।

इस मौके पर जिला मिशन समन्वयक मोहम्मद शाहबाज आलम ने संस्थानों के संचालकों और कर्मचारियों को विस्तार से बताया कि कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आंतरिक परिवाद समिति का गठन करना अनिवार्य है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि किसी संस्थान में 10 या उससे अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं, तो समिति का गठन हर हाल में होना चाहिए।

लैंगिक विशेषज्ञ सुशील कुमार झा ने POSH एक्ट की कानूनी प्रावधानों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि समिति का गठन नहीं करने पर संस्थान पर 50,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है और पंजीकरण भी रद्द किया जा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि समिति में कम से कम चार सदस्य होने चाहिए, जिनमें 50 प्रतिशत महिलाएं अनिवार्य हों।

सखी वन स्टॉप सेंटर की प्रशासक रोशनी परवीन ने कहा कि आंतरिक समिति न केवल कानूनी आवश्यकता है, बल्कि इससे संस्थान में महिलाओं को सुरक्षित वातावरण मिलता है। उन्होंने अस्पतालों और नर्सिंग होम के प्रबंधन को प्रेरित किया कि वे समिति का गठन कर उसे नोटिस बोर्ड पर प्रदर्शित करें और She Box पोर्टल पर अपडेट करें।

कार्यक्रम में यह भी बताया गया कि समिति में एक अध्यक्ष (वरिष्ठ महिला अधिकारी या बाहरी प्रतिनिधि), दो कर्मचारी प्रतिनिधि और एक बाहरी सदस्य होना चाहिए। समिति गठन के बाद आदेश की प्रति सरकारी संस्थानों को wcdckishanganj@gmail.com पर भेजनी होगी, जबकि निजी संस्थानों को She Box पोर्टल पर स्वयं जानकारी दर्ज करनी होगी।

अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि अस्पतालों के अलावा स्कूल, कॉलेज, बैंक, फैक्ट्री, मॉल, कोचिंग सेंटर, खेल संस्थान और निर्माण स्थल जैसे सभी निजी संस्थानों पर भी यह नियम लागू है। साथ ही, सभी संस्थानों से अपील की गई कि वे प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम भी नियमित रूप से आयोजित करें।












