पूर्णिया: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच शनिवार शाम 5 बजे दोनों देशों के बीच सीजफायर का ऐलान किया गया। हालांकि, इस घोषणा के बावजूद पाकिस्तान की ओर से गोलीबारी की घटनाएं सामने आईं। इस फैसले को लेकर पूर्णिया से निर्दलीय सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है।
अर्जुन भवन में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सांसद पप्पू यादव ने कहा कि सीजफायर का यह फैसला भारत की संप्रभुता और जवानों के सम्मान के खिलाफ है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह निर्णय अमेरिकी दबाव में लिया गया है। “अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक ट्वीट करते हैं और भारत सरकार उसी के अनुसार सीजफायर लागू कर देती है। जो देश अमेरिका के ट्वीट पर चले, उस देश के प्रधानमंत्री को एक मिनट भी पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है,” पप्पू यादव ने कहा।

“प्रधानमंत्री दें इस्तीफा, कुछ दिन के लिए मुझे सौंपो रक्षा मंत्रालय”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए पप्पू यादव ने कहा, “अगर यह देश आप लोगों से नहीं संभल रहा है, तो कुछ दिनों के लिए मुझे ही रक्षा मंत्री और गृह मंत्री बना दीजिए। मैं दिखाऊंगा कि देश कैसे चलता है और सीमाओं की रक्षा कैसे की जाती है।”
उन्होंने कहा कि बार-बार की सीजफायर घोषणाएं सिर्फ दिखावा हैं और इसका असली खामियाजा हमारे जवानों और आम जनता को भुगतना पड़ता है।

“जवानों का मनोबल गिरा, जनता में आक्रोश”
सांसद ने दावा किया कि इस तरह के फैसलों से देश के सैनिकों का मनोबल कमजोर हुआ है। “हमने अब तक तनाव में क्या खोया और क्या पाया? सैनिकों की जानें गईं, आम नागरिकों में डर का माहौल बना, और सबसे बड़ी बात, हमने जनता का विश्वास खो दिया,” उन्होंने कहा।
पप्पू यादव ने सरकार से मांग की कि सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए ठोस रणनीति बनाई जाए, न कि सिर्फ प्रतीकात्मक घोषणाएं। उन्होंने यह भी कहा कि जवानों के बलिदान को राजनीतिक फैसलों से कमजोर नहीं किया जाना चाहिए।

विपक्ष ने साधा समर्थन, सोशल मीडिया पर चर्चा तेज
पप्पू यादव के इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। कई विपक्षी नेताओं ने उनके बयान का समर्थन किया है, जबकि सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा तेजी से वायरल हो रहा है। कुछ यूजर्स ने जहां सरकार की नीति पर सवाल उठाए, वहीं कुछ ने पप्पू यादव की भाषा को अनुशासनहीन बताया।
निष्कर्ष
भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव के बीच आया यह बयान निश्चित ही राजनीतिक और सामाजिक बहस को नया मोड़ देगा। आने वाले दिनों में देखना होगा कि सरकार इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है और विपक्ष इस मुद्दे को कितनी मजबूती से उठाता है।
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