बिहार में वोटर वेरिफिकेशन को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। बीजेपी नेताओं ने पूर्णिया और किशनगंज जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं और आशंका जताई है कि इन जिलों में अवैध नागरिकों के नाम मतदाता सूची में शामिल किए जा रहे हैं। इस मुद्दे पर चुनाव आयोग के कुछ आंतरिक सूत्रों ने भी संकेत दिए हैं कि वोटर वेरिफिकेशन में असामान्य गतिविधियां देखी गई हैं, खासकर सीमावर्ती इलाकों में।
हालांकि, इस पूरे घटनाक्रम को लेकर आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने तीखा तंज कसा है। उन्होंने कहा, “अब खबरें सूत्रों के हवाले से नहीं, मूत्र के हवाले से दी जा रही हैं।” तेजस्वी का यह बयान राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है और इसे भाजपा के आरोपों का मज़ाक उड़ाने के तौर पर देखा जा रहा है।

किशनगंज में मामले ने पकड़ा तूल
किशनगंज, जो कि भारत-बांग्लादेश सीमा के पास स्थित है, वहां यह मामला सबसे अधिक संवेदनशील हो गया है। स्थानीय स्तर पर भी लोगों के बीच इस मुद्दे पर चर्चा हो रही है और कई नागरिकों ने सोशल मीडिया व जनसभाओं में घुसपैठ और फर्जी वोटर लिस्ट को लेकर चिंता जताई है।
बीजेपी का आरोप है कि कुछ राजनीतिक दल राजनैतिक लाभ के लिए बांग्लादेशी घुसपैठियों को दस्तावेज़ उपलब्ध करवा कर उन्हें भारतीय नागरिक घोषित करवा रहे हैं। पार्टी ने इस विषय पर चुनाव आयोग से हस्तक्षेप की मांग की है और सीमावर्ती क्षेत्रों में विशेष वेरिफिकेशन ड्राइव चलाने की सिफारिश की है।

चुनाव आयोग की भूमिका और प्रतिक्रिया
चुनाव आयोग के सूत्रों ने भी बताया है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में मतदाता सूची के सत्यापन के दौरान कुछ विसंगतियाँ पाई गई हैं। हालांकि आयोग की ओर से अभी तक इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन आंतरिक रूप से जांच की प्रक्रिया तेज कर दी गई है।

राजनीतिक बयानबाज़ी से भड़की बहस
तेजस्वी यादव का विवादित बयान इस संवेदनशील मुद्दे पर सियासी माहौल को और अधिक गर्म कर गया है। विपक्षी दलों ने उन पर इस गंभीर मामले को हल्के में लेने और “राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे विषयों पर भी राजनीति” करने का आरोप लगाया है। वहीं आरजेडी का तर्क है कि यह सब केवल एक राजनैतिक प्रोपेगैंडा है जिससे अल्पसंख्यक समुदायों को निशाना बनाया जा सके।
निष्कर्ष
बिहार में वोटर वेरिफिकेशन की प्रक्रिया अब केवल प्रशासनिक कार्यवाही नहीं रही, बल्कि यह एक गंभीर राजनीतिक मुद्दा बन चुका है, जो आने वाले विधानसभा चुनावों से पहले और अधिक तूल पकड़ सकता है।
चुनाव आयोग पर निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित करने का दबाव बढ़ रहा है, वहीं राजनीतिक दल इस मुद्दे को अपने-अपने एजेंडे के अनुसार भुनाने में जुटे हैं।
इस पूरे मामले की सच्चाई क्या है, यह तो जांच के बाद ही सामने आएगी, लेकिन फिलहाल वोटर वेरिफिकेशन पर बिहार की सियासत पूरी तरह गरमा चुकी है।
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