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किशनगंज की 10 वर्षीय छात्रा ने रचा इतिहास, बाल कथाओं की पुस्तक का जिलाधिकारी ने किया लोकार्पण

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किशनगंज जिले के पोठिया प्रखंड में एक विशेष अवसर का साक्षी बना, जब मात्र 10 वर्ष की उम्र में कक्षा पांच की छात्रा संस्कृति चौधरी ने अपनी पहली बाल कथाओं की पुस्तक लिखकर इतिहास रचा। बिहार में यह पहली बार हुआ है कि इतनी कम उम्र की किसी छात्रा ने साहित्य के क्षेत्र में ऐसी अद्वितीय उपलब्धि हासिल की हो।

जिला पदाधिकारी किशनगंज

इस अद्वितीय पुस्तक का लोकार्पण किशनगंज के जिलाधिकारी विशाल राज और जिला शिक्षा पदाधिकारी नासिर हुसैन द्वारा किया गया, जो जिले के लिए गर्व का क्षण था। संस्कृति चौधरी, जो अभी कक्षा पांच की छात्रा हैं, ने अपनी रचनात्मकता और प्रतिभा का परिचय देते हुए छोटी-छोटी बाल कथाओं को संजोकर यह पुस्तक तैयार की है। इस उम्र में जहां बच्चे खेलकूद और पढ़ाई में व्यस्त रहते हैं, वहीं संस्कृति ने अपने विचारों को शब्दों का रूप देकर बाल साहित्य में अपनी पहचान बनाई है।

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यह पुस्तक बच्चों की कल्पनाशक्ति और सीखने की चाह को प्रोत्साहित करने वाली कहानियों से भरी हुई है। लोकार्पण कार्यक्रम के दौरान जिलाधिकारी विशाल राज ने संस्कृति की प्रशंसा करते हुए कहा, “इतनी छोटी उम्र में इस प्रकार की साहित्यिक कृति तैयार करना एक असाधारण उपलब्धि है। यह न केवल किशनगंज जिले बल्कि पूरे बिहार के लिए गर्व की बात है। संस्कृति ने यह साबित कर दिया है कि उम्र केवल एक संख्या है, और अगर हिम्मत और लगन हो, तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है।” जिला शिक्षा पदाधिकारी नासिर हुसैन ने भी संस्कृति को शुभकामनाएं देते हुए कहा, “संस्कृति जैसी होनहार छात्रा हमारे जिले का भविष्य है।

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उसकी लेखन शैली और दृष्टिकोण को देखकर लगता है कि वह आने वाले समय में साहित्य के क्षेत्र में और भी ऊंचाइयों को छुएगी। संस्कृति के इस अद्वितीय योगदान से न केवल उनका परिवार, बल्कि पूरा विद्यालय और क्षेत्र गर्व महसूस कर रहा है। उनके शिक्षक और साथी छात्र भी इस उपलब्धि से प्रेरित हैं। संस्कृति के माता, जो खुद एक शिक्षक हैं, ने बताया कि उनकी बेटी को बचपन से ही कहानियां पढ़ने का शौक था और धीरे-धीरे उसने खुद कहानियां लिखना शुरू कर दिया। इस पुस्तक की सफलता के पीछे उनकी बेटी की मेहनत और परिवार का समर्थन है।

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यह पुस्तक बच्चों को मनोरंजन के साथ-साथ नैतिक शिक्षा भी प्रदान करती है, जिसमें दोस्ती, साहस, और ईमानदारी जैसे जीवन मूल्यों को सरल और मनोरंजक तरीके से प्रस्तुत किया गया है। संस्कृति का यह प्रयास न केवल बिहार, बल्कि देश भर के बाल साहित्य प्रेमियों के लिए प्रेरणा स्रोत बन सकता है। संस्कृति चौधरी की यह सफलता इस बात का प्रमाण है कि अगर बच्चों को सही मार्गदर्शन और प्रोत्साहन मिले, तो वे असाधारण काम कर सकते हैं। किशनगंज के इस छोटे से गांव से निकली यह बाल लेखिका भविष्य में और भी बड़ी सफलताएं अर्जित करेगी, ऐसी उम्मीद की जा रही है।

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