किशनगंज जिले में कैंसर के मामलों में निरंतर वृद्धि हो रही है। 2021 में जहां कैंसर के 480 मामले सामने आए थे, वहीं 2022 में यह संख्या बढ़कर 670 तक पहुंच गई। 2023 के अंत तक कैंसर के मरीजों की संख्या 850 से अधिक हो गई है। यह आंकड़े इस बात को दर्शाते हैं कि जिले में कैंसर के मामलों में गंभीर वृद्धि हो रही है, जबकि इस बढ़ती समस्या के समाधान के लिए इलाज की कोई बुनियादी सुविधा उपलब्ध नहीं है।
किशनगंज के सांसद ने इस स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि जिले में कैंसर के इलाज की कोई खास व्यवस्था नहीं है, जिसके कारण मरीज हर साल बड़े अस्पतालों जैसे एम्स में इलाज के लिए सिफारिश पत्र मांगने पर मजबूर होते हैं। सांसद ने बताया कि जिले में कैंसर के इलाज के लिए आधारभूत सुविधाओं का अभाव है, और स्थानीय अस्पतालों में इस पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

बुनियादी सुविधाओं का अभाव
किशनगंज जिले की स्थिति रणनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह पश्चिम बंगाल और नेपाल की सीमाओं से जुड़ा हुआ है। सांसद ने इस पर जोर देते हुए कहा कि जिला अस्पताल में कैंसर मरीजों के लिए विशेष सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए। इनमें कीमोथेरेपी के लिए 4-6 बेड, कैंसर विशेषज्ञों की नियुक्ति और आधुनिक जांच उपकरणों की आवश्यकता है।

कैंसर केयर सेंटर की स्थापना की आवश्यकता
सांसद ने किशनगंज में कैंसर केयर सेंटर की स्थापना की सख्त आवश्यकता बताई है। इसके स्थापित होने से न केवल मरीजों को इलाज में आसानी होगी, बल्कि बड़े अस्पतालों पर दबाव भी कम होगा। साथ ही, सीमांचल क्षेत्र के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकेंगी।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, किशनगंज में कैंसर केयर सेंटर की स्थापना से न केवल स्थानीय लोगों को फायदा होगा, बल्कि यह पूरे क्षेत्र के स्वास्थ्य ढांचे में सुधार लाएगा।
इस मामले ने अब प्रदेश और केंद्र सरकारों से ध्यान आकर्षित किया है, और इस पर गंभीर कदम उठाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
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