कटिहार के बघवाबाड़ी क्षेत्र में वक्फ बोर्ड की करोड़ों की कीमत वाली 21 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जे का मामला सामने आया है। समाजसेवी फैज आलम मुन्ना ने इस जमीन को अतिक्रमण मुक्त करने की मांग की है और आरोप लगाया है कि वक्फ बोर्ड और प्रशासन ने इस मुद्दे पर लापरवाही बरती है। फैज आलम ने इस मामले में जिला प्रशासन, बिहार सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री से तत्काल कार्रवाई की अपील की है।

सरकारी अधिकारियों पर मिलीभगत का आरोप
फैज आलम ने आरोप लगाया कि एमएस सर्वे में कुछ सरकारी अधिकारियों ने मिलीभगत कर इस वक्फ बोर्ड की जमीन को गलत तरीके से दर्ज किया, जिससे अवैध कब्जे बढ़ गए हैं। उनका कहना है कि यह जमीन वक्फ बोर्ड की संपत्ति है, और इसे किसी भी तरह से बेचा नहीं जा सकता और न ही तीन साल से ज्यादा समय के लिए लीज पर दी जा सकती है। फैज आलम ने इसे 500 करोड़ की संपत्ति बताया और इसे बचाने की मांग की है।

टाइटल केस और कोर्ट में लंबित मामला
वक्फ बोर्ड के कर्मचारी आशिक रसूल ने इस जमीन पर एक टाइटल केस जीता था, लेकिन इसके बावजूद बिहार सरकार के अंचल पदाधिकारी ने पटना हाईकोर्ट में इस पर अपील दायर की। यह मामला अब भी कोर्ट में लंबित है, लेकिन इस बीच इस जमीन पर पक्के मकान बनाए जा रहे हैं, जो अवैध कब्जे को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं।
मोतवल्ली का बयान
वक्फ बोर्ड के मोतवल्ली अशरफ अली ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि इस वक्फ जमीन पर कुछ लोगों ने झोपड़ियां बनाई हैं और वे जल्द ही इन्हें हटाने की प्रक्रिया शुरू करेंगे। हालांकि, उनका यह भी कहना था कि वक्फ की जमीन पर कोई पक्का मकान नहीं बन रहा है और जो मकान बन रहे हैं, वे वक्फ की जमीन से बाहर स्थित हैं।
इस पूरे मामले में प्रशासन और वक्फ बोर्ड के अधिकारियों पर आरोप लगाया जा रहा है कि उन्होंने उचित कार्रवाई में देरी की, जिससे अवैध कब्जे बढ़े हैं। अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और वक्फ बोर्ड की जमीन को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए आगे क्या कार्रवाई होती है।
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