पूर्णिया ज़िले के अमौर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले बारा ईदगाह पंचायत में रविवार को केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित वक्फ संशोधन बिल के विरोध में एक ऐतिहासिक और शांतिपूर्ण प्रदर्शन का आयोजन किया गया। यह प्रदर्शन स्थानीय जनता की धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक चेतना का जीवंत उदाहरण बन गया, जिसमें हजारों की संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया।

60 हज़ार से अधिक लोगों की भागीदारी
यह विरोध प्रदर्शन बारा ईदगाह मार्केट से शुरू होकर हक्का सर्वेली होते हुए मिल्लत हाई स्कूल परिसर तक पहुंचा। आयोजकों और स्थानीय प्रशासन के अनुमान के मुताबिक, इस मार्च में करीब 60,000 से अधिक लोगों ने भाग लिया। प्रदर्शन शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ और इसमें हर उम्र और वर्ग के लोग शामिल हुए।

वक्फ संशोधन बिल को बताया गया अल्पसंख्यक अधिकारों पर हमला
प्रदर्शनकारियों ने केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए वक्फ संशोधन बिल को अल्पसंख्यकों के धार्मिक और सामाजिक अधिकारों के खिलाफ बताया। उनके अनुसार, यह विधेयक न केवल वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन पर सरकारी नियंत्रण बढ़ाएगा, बल्कि इससे अल्पसंख्यक समुदाय की स्वायत्तता भी प्रभावित होगी।
प्रदर्शन के दौरान लगाए गए नारों और तख्तियों पर लिखा गया था –
“वक्फ हमारी पहचान है, इसे छीनने नहीं देंगे!”
“संविधान की आत्मा से खिलवाड़ नहीं चलेगा!”

राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक नेताओं ने किया संबोधित
प्रदर्शन स्थल पर एक सभा का आयोजन किया गया, जिसमें कई प्रमुख नेताओं और वक्ताओं ने लोगों को संबोधित किया। इनमें शामिल थे:
- विधायक अख्तरुल ईमान
- पूर्व विधायक सबा ज़फर
- एडवोकेट साहबूज़ ज़मा भारती
- मुखिया प्रतिनिधि तनवीर आलम
- पूर्व मुखिया अफाक आलम
- मौलाना जमीर उद्दीन नदवी
- शाहबाज अख्तर, तूफान आलम, शायर शाहबाज रईस सहित अन्य जनप्रतिनिधि और सामाजिक कार्यकर्ता।
इन नेताओं ने एक स्वर में वक्फ संशोधन बिल को निरस्त करने की मांग की और चेतावनी दी कि यदि सरकार इस बिल को वापस नहीं लेती है, तो आंदोलन को राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर और व्यापक रूप दिया जाएगा।
प्रशासन रहा सतर्क, प्रदर्शन रहा शांतिपूर्ण
पूरे कार्यक्रम के दौरान स्थानीय प्रशासन पूरी तरह सतर्क और मुस्तैद रहा। पुलिस बल और प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में यह प्रदर्शन पूर्णतः शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ। आयोजकों ने भी संयम और अनुशासन का परिचय देते हुए प्रदर्शन को किसी भी प्रकार की अव्यवस्था से दूर रखा।
निष्कर्ष
अमौर में हुए इस प्रदर्शन ने न सिर्फ वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ जनआक्रोश को उजागर किया, बल्कि यह भी दिखाया कि समाज का एक बड़ा वर्ग अपने धार्मिक और सामाजिक अधिकारों के प्रति सजग है। आने वाले समय में यह आंदोलन बिहार के अन्य हिस्सों और देशभर में भी राजनीतिक हलचल का कारण बन सकता है।
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