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कटिहार में रेलवे की घेराबंदी पर मचा बवाल

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कटिहार जिले के साहेबपाड़ा समेत आसपास के कई रिहायशी इलाकों में रेलवे द्वारा की जा रही घेराबंदी को लेकर स्थानीय लोगों में आक्रोश गहराता जा रहा है। इसी मुद्दे पर शनिवार को राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल कटिहार रेलवे मंडल कार्यालय पहुंचा और मंडल रेल प्रबंधक (DRM) से मुलाकात कर अपनी आपत्ति दर्ज कराई। प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व RJD के पूर्व प्रदेश महासचिव समरेंद्र कुणाल ने किया।

कटिहार में रेलवे की घेराबंदी पर मचा बवाल
कटिहार में रेलवे की घेराबंदी पर मचा बवाल

45 मिनट की बैठक, उठाई जनसमस्याओं की बात

करीब 45 मिनट तक चली इस बैठक में प्रतिनिधिमंडल ने साहेबपाड़ा, तेजटोला, प्रतापनगर, विद्यानगर और बघवाबाड़ी जैसे घनी आबादी वाले इलाकों की घेराबंदी पर कड़ी आपत्ति जताई। नेताओं ने बताया कि रेलवे द्वारा बनाई जा रही दीवार के कारण आम लोगों की दिनचर्या प्रभावित हो रही है।

विशेष रूप से स्कूली बच्चों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। सिल्वर वेल्स सेंट्रल स्कूल के छात्र पहले सीधे रास्ते से स्कूल पहुंचते थे, लेकिन अब उन्हें लंबा चक्कर लगाकर स्कूल जाना पड़ रहा है। इसके अलावा SBI बैंक, जो उस क्षेत्र में लोगों की प्रमुख बैंकिंग जरूरतों को पूरा करता है, वहां भी पहुंचना अब मुश्किल हो गया है।

कटिहार में रेलवे की घेराबंदी पर मचा बवाल
कटिहार में रेलवे की घेराबंदी पर मचा बवाल

धार्मिक स्थल भी प्रभावित

समरेंद्र कुणाल ने DRM को यह भी बताया कि इलाके में स्थित करीब सौ वर्ष पुराना ऐतिहासिक राम मंदिर भी रेलवे की घेराबंदी की जद में आ गया है। इससे मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को बड़ी परेशानी हो रही है। उन्होंने कहा कि धार्मिक स्थलों तक आसान पहुंच जनता की धार्मिक भावना और संवैधानिक अधिकार का हिस्सा है, जिसे बाधित नहीं किया जाना चाहिए।

सुझाव: दीवार की जगह निगरानी और गश्त बढ़े

RJD नेताओं ने DRM को समाधान के तौर पर कुछ सुझाव भी दिए। उन्होंने कहा कि दीवार बनाने से समस्या और बढ़ेगी। इसके स्थान पर रेलवे को CCTV कैमरे लगाने चाहिए और जिला पुलिस व रेलवे सुरक्षा बल की संयुक्त गश्त बढ़ाई जानी चाहिए, ताकि सुरक्षा भी बनी रहे और आम जनता की सुविधा भी प्रभावित न हो।

स्थानीय स्तर पर बढ़ रहा जनविरोध

रेलवे की घेराबंदी को लेकर स्थानीय स्तर पर भी लोगों में रोष है। कई सामाजिक संगठन और वार्ड स्तर के प्रतिनिधि भी इस मुद्दे को उठाने लगे हैं। उनका कहना है कि बिना वैकल्पिक रास्ता बनाए घेराबंदी करना जनविरोधी कदम है।

रेलवे की ओर से कार्रवाई पर विचार

बैठक के दौरान DRM ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया कि उनकी बातों को गंभीरता से लिया जाएगा और प्रस्तावित योजना की समीक्षा कर क्षेत्र की जनता की सुविधा का ध्यान रखा जाएगा। हालांकि अभी तक दीवार निर्माण कार्य को लेकर कोई औपचारिक रोक की घोषणा नहीं हुई है।


निष्कर्ष:
रेलवे की सुरक्षा को लेकर उठाया गया यह कदम अब जनता की सुविधा और पहुंच के बीच संतुलन की चुनौती बन गया है। RJD के हस्तक्षेप से अब उम्मीद की जा रही है कि रेलवे स्थानीय हितों को ध्यान में रखकर उचित समाधान निकालेगा।

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