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बेरोज़गारी और डोमिसाइल नीति पर गरजे अख्तरुल ईमान

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बिहार में डोमिसाइल (स्थानीय निवास प्रमाणपत्र) नीति और बढ़ती बेरोज़गारी के खिलाफ छात्रों द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन को अब राजनीतिक समर्थन मिलना शुरू हो गया है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के बिहार प्रदेश अध्यक्ष और विधायक अख्तरुल ईमान ने इस छात्र आंदोलन को “जायज़ लड़ाई” करार देते हुए AIMIM की ओर से पूरे समर्थन की घोषणा की है।

अख्तरुल ईमान ने एक बयान जारी कर स्पष्ट रूप से कहा कि यदि वे किसी कार्यक्रम में व्यस्त नहीं होते, तो स्वयं सड़कों पर उतरकर छात्रों के साथ प्रदर्शन में शामिल होते। उन्होंने कहा, “यह सिर्फ एक आंदोलन नहीं है, यह बिहार के नौजवानों की आवाज़ है। जब किसी के घर में आग लगी हो, तो सबसे पहले अपने बच्चों को बचाया जाता है, न कि पड़ोसी को। यही बात राज्य सरकार को समझनी चाहिए।”

बेरोज़गारी और डोमिसाइल नीति पर गरजे अख्तरुल ईमान
बेरोज़गारी और डोमिसाइल नीति पर गरजे अख्तरुल ईमान

नीतीश सरकार पर सीधा हमला

अख्तरुल ईमान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि डोमिसाइल नीति को जिस तरह से लागू किया गया है, वह सीधे तौर पर बिहार के युवाओं के हितों के खिलाफ है। उन्होंने पूछा कि जब बिहार में पहले से ही उद्योगों की भारी कमी है, बेरोज़गारी चरम पर है और शिक्षा व्यवस्था जर्जर है, तो फिर राज्य के बाहर के लोगों को नौकरियों का लाभ क्यों दिया जा रहा है?

उन्होंने सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा, “जब आप खुद कहते हैं कि बिहार के पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं, तो फिर पिछले 20 वर्षों में सत्ता में रहते हुए आपने क्या किया? अब आप बिहार के युवाओं को ही अयोग्य ठहराकर जिम्मेदारी से बचना चाहते हैं?”

बेरोज़गारी और डोमिसाइल नीति पर गरजे अख्तरुल ईमान
बेरोज़गारी और डोमिसाइल नीति पर गरजे अख्तरुल ईमान

छात्र आंदोलन को बताया ‘वाजिब जनआंदोलन’

विधायक अख्तरुल ईमान ने छात्र आंदोलन को पूरी तरह वैध और लोकतांत्रिक करार दिया। उन्होंने कहा कि राज्य के युवाओं की यह मांग है कि उन्हें रोजगार और शिक्षा के पर्याप्त अवसर मिले, ताकि उन्हें दूसरे राज्यों की ओर पलायन न करना पड़े। उन्होंने यह भी कहा कि AIMIM युवाओं के हक की हर लड़ाई में उनके साथ खड़ी है।

बेरोज़गारी और डोमिसाइल नीति पर गरजे अख्तरुल ईमान
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बिहार में छात्र आंदोलन जोर पकड़ता जा रहा है

डोमिसाइल नीति के खिलाफ राज्य के विभिन्न जिलों में छात्रों द्वारा प्रदर्शन किए जा रहे हैं। छात्र संगठनों का कहना है कि यह नीति बिहार के मूल निवासियों के हक को छीन रही है और बाहरियों को प्राथमिकता दी जा रही है। सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा तेजी से फैल रहा है और राज्य सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

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