पूर्णिया जिले के कसबा थाना क्षेत्र के सरोचिया वार्ड नंबर 6 में वर्षों पुराने एक सार्वजनिक रास्ते को लेकर ज़मीनी विवाद गहराता जा रहा है। यह रास्ता एक सरकारी नहर की जमीन पर बना हुआ था, जो आसपास के लोगों के लिए आवाजाही का मुख्य मार्ग था। लेकिन हाल के दिनों में इस रास्ते को लेकर विवाद ने गंभीर रूप ले लिया है।
पीड़िता अंजली देवी का आरोप है कि स्थानीय निवासी मनोज मंडल और उनके परिजनों ने जबरन इस सार्वजनिक रास्ते को बंद कर दिया है, जिससे न सिर्फ उनका, बल्कि आसपास के कई अन्य परिवारों का आना-जाना प्रभावित हो रहा है। अंजली देवी के अनुसार, यह रास्ता वर्षों से उपयोग में लाया जा रहा था और यह क्षेत्र के लोगों के लिए बेहद जरूरी है।

कई बार की गई शिकायतें, लेकिन समाधान अधूरा
अंजली देवी ने इस विवाद को लेकर कई बार स्थानीय थाना, अंचलाधिकारी कार्यालय और यहां तक कि सांसद प्रतिनिधियों से भी गुहार लगाई है। प्रशासन द्वारा रास्ता खुलवाने की कुछ कोशिशें की गईं, लेकिन हर बार कुछ दिनों के भीतर मनोज मंडल पक्ष द्वारा रास्ते को दोबारा बंद कर दिया जाता है।
पीड़ित परिवार का कहना है कि उन्हें अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिले हैं, जबकि ज़मीनी स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है। उनके अनुसार, प्रशासन का रवैया बेहद ढीला है और अगर इसी तरह स्थिति बनी रही तो यह मामला और ज्यादा गंभीर हो सकता है।

सामाजिक तनाव और भविष्य की चिंता
इस विवाद की वजह से क्षेत्र में सामाजिक तनाव भी पैदा हो गया है। ग्रामीणों का कहना है कि सार्वजनिक रास्तों को बंद करने की प्रवृत्ति अगर इसी तरह बढ़ती रही, तो इससे अन्य इलाकों में भी लोग व्यक्तिगत लाभ के लिए सामूहिक सुविधाओं पर कब्जा करने की कोशिश करेंगे।
वहीं, अंजली देवी ने कहा है कि यदि उन्हें न्याय नहीं मिला, तो वे आगे प्रदर्शन और जन आंदोलन का रास्ता भी अपना सकती हैं। उन्होंने यह भी मांग की है कि प्रशासन इस मामले में स्थायी समाधान निकाले और रास्ते को सार्वजनिक संपत्ति घोषित करते हुए उसे हमेशा के लिए खुला रखा जाए।

सवाल उठते हैं प्रशासन की भूमिका पर
इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जब एक पीड़ित महिला महीनों से शिकायत कर रही है, और जब मामला सरकारी जमीन का है, तो फिर अब तक स्पष्ट कार्रवाई क्यों नहीं की गई? क्या प्रशासन सिर्फ औपचारिकता निभा रहा है, या फिर किसी दबाव में कार्य नहीं कर पा रहा — ये सवाल अब आम जनता भी पूछ रही है।
अब देखना यह है कि क्या प्रशासन इस बार ठोस कदम उठाएगा और अंजली देवी जैसे पीड़ितों को न्याय दिला पाएगा, या फिर यह मामला भी अन्य लंबित विवादों की तरह फाइलों में दबा रह जाएगा।
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