अररिया जिला मंडल कारागार में शराब तस्करी के मामले में सजा काट रहे 27 वर्षीय कैदी शिबू घोष की गुरुवार को संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। मृतक के शरीर पर खून के धब्बे और मुंह से रक्तस्राव की सूचना ने जेल प्रशासन के दावों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

घटना का विवरण
पीड़ित की पहचान: शिबू घोष, मूल रूप से पश्चिम बंगाल के मालदा जिले का निवासी, ट्रक के खलासी के रूप में काम करता था।
मामला: 2020 में अररिया में शराब तस्करी के आरोप में गिरफ्तार हुआ और 5 साल की सजा पाई। ट्रक चालक बरी हो गया, लेकिन शिबू को सजा हुई ।
रिहाई निकट: उसे अगले 2 महीने में रिहा होना था, लेकिन गुरुवार सुबह भाई इंदु घोष ने उसे मुंह से खून बहते और शरीर पर चोट के निशान देखे ।

परिजनों के आरोप
हत्या का संदेह: भाई इंदु ने जेल प्रशासन पर मारपीट कर हत्या करने का आरोप लगाया। उनका कहना है कि शिबू को अस्पताल ले जाते समय पुलिस ने उसे बेहोश अवस्था में छोड़ दिया ।
चिकित्सकीय दावों पर सवाल: जेल अधीक्षक सुजीत कुमार झा ने बताया कि शिबू निमोनिया और अन्य बीमारियों से पीड़ित था, लेकिन परिजनों का कहना है कि वह हाल ही में पटना से इलाज कराकर लौटा था और स्थिर था ।

जेल प्रशासन की प्रतिक्रिया
जेल अधिकारियों ने मौत का सही कारण पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से स्पष्ट होने की बात कही है ।
इसी जेल में 2 जुलाई को सुधीर राम ने आत्महत्या का प्रयास किया था। पिछले कुछ वर्षों में कैदियों की संदिग्ध मौतें बढ़ी हैं ।
सामाजिक और प्रशासनिक चिंताएं
स्थानीय संगठनों ने जेल में कैदियों की सुरक्षा और चिकित्सा सुविधाओं की कमी को लेकर आलोचना की है ।
परिजनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है ।
आगे की कार्रवाई
एसपी राजेश कुमार प्रभाकर ने बताया कि मामले की गहन जांच की जा रही है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद ही आगे की कार्रवाई होगी ।
स्थानीय नेताओं ने घटना पर संज्ञान लेते हुए परिजनों को न्याय दिलाने का आश्वासन दिया है ।
यह घटना अररिया जेल में कैदियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाती है। शिबू घोष की मौत के साथ ही जेल प्रशासन की जवाबदेही तय करने की मांग तेज हो गई है।
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