बिहार के पूर्णिया जिले के अमौर विधानसभा क्षेत्र में मंगलवार को विशेष गहन मतदाता पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) के खिलाफ जनआक्रोश उभरकर सामने आया। विरोध स्वरूप अमौर के पलसा चौक और अमौर थाना चौक पर कई घंटों तक चक्का जाम रहा, जिससे आम जनजीवन पूरी तरह प्रभावित हुआ। इस दौरान SH-99 पर यातायात पूरी तरह ठप रहा और दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं।

प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे जनप्रतिनिधियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों ने आरोप लगाया कि मतदाता सूची में संशोधन की वर्तमान प्रक्रिया गरीब, दलित, अल्पसंख्यक और मजदूर वर्ग के मताधिकार को खत्म करने की एक सुनियोजित साज़िश है। उनका कहना था कि इस पुनरीक्षण अभियान की आड़ में हजारों वास्तविक मतदाताओं के नाम सूची से हटाए जा रहे हैं।

प्रदर्शनकारियों ने स्पष्ट रूप से चेतावनी दी कि यदि यह प्रक्रिया तत्काल प्रभाव से वापस नहीं ली गई तो वे व्यापक आंदोलन छेड़ने के लिए बाध्य होंगे। उन्होंने कहा कि पहला चरण भूख हड़ताल का होगा और यदि उनकी मांगों की अनदेखी हुई तो ‘जेल भरो आंदोलन’ की शुरुआत की जाएगी।

चक्का जाम के दौरान विरोध कर रहे लोगों ने प्रशासन और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाज़ी की। “वोट हमारा, हक़ हमारा”, “दलित-विरोधी सरकार मुर्दाबाद”, जैसे नारों से क्षेत्र गूंज उठा। प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि लोकतंत्र की बुनियाद माने जाने वाले ‘वोट’ को ही कमजोर करने की कोशिश की जा रही है, जो किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
इस विरोध प्रदर्शन में बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक, राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि और सामाजिक संगठनों के सदस्य शामिल हुए। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि सरकार ने समय रहते इस मुद्दे पर संज्ञान नहीं लिया तो आंदोलन और अधिक उग्र रूप ले सकता है।
अब देखना यह है कि प्रशासन इस विवादास्पद मुद्दे पर क्या रुख अपनाता है और क्या विशेष गहन मतदाता पुनरीक्षण अभियान पर पुनर्विचार किया जाएगा या नहीं।
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