किशनगंज: बिहार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहम्मद जमा खान ने किशनगंज में आयोजित एक जनसभा में बड़ा बयान देते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जमकर प्रशंसा की और कुछ मुस्लिम नेताओं पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि जिन लोगों को समाज ने अपनी सेवा के लिए चुना, उन्होंने ही विश्वासघात किया है।
मंत्री जमा खान ने कहा, “जिन नेताओं को समाज ने चौकीदार बनाया था, उन्होंने ही समाज को ठगा है। समाज की तरक्की की बजाय उन्होंने अपने निजी स्वार्थ को प्राथमिकता दी।” उन्होंने मुस्लिम समाज से आग्रह किया कि वे अब उन चेहरों को पहचानें जिन्होंने उनके लिए वास्तव में काम किया है।

नीतीश कुमार की नीतियों की सराहना
जमा खान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने कभी वोट बैंक की राजनीति नहीं की और हर वर्ग के लोगों के साथ न्याय किया। उन्होंने कहा, “नीतीश कुमार के लिए पूरा बिहार उनका परिवार है। उन्होंने अल्पसंख्यकों के साथ कभी भेदभाव नहीं किया, बल्कि समान रूप से सबका विकास सुनिश्चित किया।”
उन्होंने 2005 से पहले के बिहार की स्थिति की चर्चा करते हुए बताया कि उस दौर में अल्पसंख्यक समाज की हालत बदतर थी। लेकिन नीतीश कुमार की सरकार ने अल्पसंख्यकों के लिए कई ऐतिहासिक कदम उठाए।

मुस्लिम बच्चों के लिए 29 आवासीय स्कूल
जमा खान ने बताया कि राज्य में मुस्लिम बच्चों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए 29 अल्पसंख्यक आवासीय विद्यालय (रेज़िडेंशियल स्कूल) खोले गए हैं। उन्होंने इसे एनडीए सरकार की एक बड़ी उपलब्धि बताया और कहा कि ये स्कूल मुस्लिम समाज को शिक्षित और सशक्त बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रहे हैं।
समाज को सोच-समझकर फैसला लेने की अपील
मंत्री ने मुस्लिम समाज से अपील करते हुए कहा कि वे भावनाओं में बहकर नहीं, बल्कि विकास और कार्यों के आधार पर नेतृत्व का चुनाव करें। उन्होंने कहा कि बिहार में मुसलमानों के लिए जो कुछ भी किया गया है, वह नीतीश कुमार और एनडीए सरकार की सोच और प्रतिबद्धता का परिणाम है।
कार्यक्रम में कई नेता रहे मौजूद
इस जनसभा में जेडीयू के वरिष्ठ नेता इंद्रदेव पासवान, फैसल अहमद समेत कई स्थानीय जनप्रतिनिधि और समाजसेवी भी उपस्थित रहे। सभी ने नीतीश सरकार की अल्पसंख्यक कल्याण योजनाओं की सराहना की और मंत्री जमा खान के बयानों का समर्थन किया।
निष्कर्ष:
मंत्री जमा खान के बयान ने बिहार की राजनीति में एक बार फिर अल्पसंख्यक समाज को लेकर बहस छेड़ दी है। जहां एक ओर उन्होंने नीतीश कुमार को अल्पसंख्यकों का सच्चा हितैषी बताया, वहीं दूसरी ओर मुस्लिम नेताओं के भीतर के मतभेद और समाज के साथ किए गए छल को भी सामने लाया। अब देखना यह है कि इन बयानों का असर आगामी राजनीतिक समीकरणों पर कितना पड़ता है।
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