पूर्णिया, बिहार – जिले के मुफस्सिल थाना क्षेत्र स्थित ईदगाह टोला से एक गंभीर मामला प्रकाश में आया है, जहां एक 18 वर्षीय युवती ने तीन वर्षों तक शादी का झांसा देकर यौन शोषण करने और आर्थिक ठगी का आरोप एक युवक पर लगाया है। पीड़िता ने अब मानवाधिकार संगठन से न्याय की गुहार लगाई है और प्रशासन से आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

प्रेमजाल की शुरुआत जलसे से
पीड़िता के अनुसार, तीन साल पहले पोखरिया गांव में आयोजित एक धार्मिक जलसे के दौरान उसकी मुलाकात मोहम्मद मुजाहिद (उम्र 22 वर्ष) से हुई थी। पहली ही मुलाकात में युवक ने उसका मोबाइल नंबर ले लिया और इसके बाद दोनों के बीच बातचीत शुरू हो गई। कुछ ही समय में दोनों के बीच दोस्ती हुई, जो धीरे-धीरे प्रेम संबंध में बदल गई।
युवक ने भरोसा जीतने के लिए उसे सात हजार रुपये का चाइनीज मोबाइल फोन गिफ्ट किया। इसके बाद युवती उससे लगातार मिलने-जुलने लगी और विश्वास करती चली गई।

शादी का झांसा, शारीरिक संबंध और आर्थिक ठगी
पीड़िता ने आरोप लगाया कि मुजाहिद ने शादी का वादा कर उससे कई बार शारीरिक संबंध बनाए। हर बार वह यह कहता रहा कि जल्द ही शादी कर लेगा, लेकिन समय बीतने के साथ उसने बात टालनी शुरू कर दी।
इतना ही नहीं, आरोपी ने शादी के नाम पर युवती से 1.50 लाख रुपए भी ले लिए। युवक ने यह रकम अलग-अलग बहानों से वसूली – कभी शादी की तैयारी के नाम पर, तो कभी परिवार को मनाने के बहाने। जब युवती ने उस पर शादी के लिए दबाव डाला, तो आरोपी मुकर गया और घर छोड़कर फरार हो गया।

मानवाधिकार संगठन से लगाई न्याय की गुहार
मायूस होकर पीड़िता ने राष्ट्रीय मानवाधिकार वेलफेयर संगठन की शरण ली। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद सौदागर ने मामले को गंभीरता से लेते हुए स्थानीय प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की मांग की है।
उन्होंने कहा, “यह मामला सिर्फ एक लड़की के साथ धोखे और शोषण का नहीं है, बल्कि महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान से जुड़ा विषय है। यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो संगठन इसे राज्य स्तर पर उठाएगा और पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए हर संभव कदम उठाएगा।”
प्रशासन से मांग: हो तत्काल कार्रवाई
संगठन की मांग है कि पुलिस इस मामले में एफआईआर दर्ज कर आरोपी को तत्काल गिरफ्तार करे और पीड़िता की सुरक्षा सुनिश्चित करे। साथ ही, आरोपी द्वारा ठगे गए पैसे की भी बरामदगी करवाई जाए।
सवालों के घेरे में समाज की चुप्पी
यह मामला एक बार फिर सवाल उठाता है कि कैसे लड़कियों को भावनात्मक रूप से फंसाकर उनका शोषण किया जा रहा है और समाज, परिवार व प्रशासन इन मामलों में चुप्पी साध लेता है। पीड़िता का साहस और मानवाधिकार संगठन का हस्तक्षेप इस मामले को प्रकाश में लाया है, लेकिन जब तक कानूनी कार्रवाई नहीं होती, पीड़िता को न्याय नहीं मिलेगा।
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