कटिहार, बिहार — जिले के नगर थाना क्षेत्र अंतर्गत फसिया प्राथमिक विद्यालय में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां विद्यालय प्रबंधन की घोर लापरवाही से तीसरी कक्षा का एक छात्र स्कूल की छुट्टी के बाद कक्षा में ही बंद रह गया। शिक्षकों ने छात्र को कक्षा में सोता हुआ छोड़ दिया और कमरे में ताला लगाकर स्कूल से चले गए। बाद में जब छात्र की नींद खुली और उसने बाहर निकलने की कोशिश की, तो वह खिड़की में फंस गया और जोर-जोर से चिल्लाने लगा।

क्या है पूरा मामला?
घटना सोमवार की बताई जा रही है। तीसरी कक्षा में पढ़ने वाला एक छात्र क्लास के दौरान थक कर अपने बेंच पर सो गया था। जब स्कूल की छुट्टी हुई, तो बाकी सभी छात्र-छात्राएं स्कूल से घर चले गए। शिक्षक और शिक्षिकाएं भी बिना कक्षा का ठीक से निरीक्षण किए ताला लगाकर स्कूल बंद करके चले गए।
शाम के वक्त पास में स्थित एक दुकान पर बैठे स्थानीय दुकानदार चंदन पोद्दार को स्कूल भवन के अंदर से बच्चे के रोने और मदद के लिए चिल्लाने की आवाज सुनाई दी। उन्होंने तुरंत आसपास के ग्रामीणों को इसकी जानकारी दी और खुद विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक मोहम्मद कलीमुद्दीन को इस बारे में फोन कर सूचित किया।

खिड़की में फंसा छात्र, ग्रामीणों ने तोड़ा ताला
जब तक विद्यालय कर्मी मौके पर पहुंचते, तब तक छात्र ने खुद को कमरे में बंद पाकर लोहे की खिड़की से बाहर निकलने की कोशिश की। लेकिन खिड़की की ग्रिल में वह बुरी तरह फंस गया और बुरी तरह डर गया। उसकी चीख-पुकार सुनकर आसपास के ग्रामीण जमा हो गए। उन्होंने तुरंत हथौड़े और औजारों की मदद से विद्यालय का ताला तोड़ा और छात्र को सुरक्षित बाहर निकाला।
प्राचार्य ने दी सफाई, लोगों में आक्रोश
विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक मोहम्मद कलीमुद्दीन ने बताया कि वह पिछले दो दिनों से BLO ड्यूटी में थे और फिसलने की वजह से उनके हाथ में चोट भी लगी है। उन्होंने कहा कि इस दौरान विद्यालय की देखरेख अन्य शिक्षक कर रहे थे। जब उनसे संपर्क किया गया, तो उन्होंने बताया कि यह घटना अनजाने में हुई गलती थी। शिक्षक के अनुसार, कक्षा में दिन के समय भी पर्याप्त रोशनी नहीं होती, जिससे उन्हें छात्र के बेंच पर सोए होने का अंदाजा नहीं लग सका।
हालांकि, इस लापरवाही को लेकर स्थानीय ग्रामीणों में काफी आक्रोश देखा गया। लोगों का कहना है कि अगर समय पर बच्चे की आवाज नहीं सुनी जाती, तो कोई गंभीर हादसा हो सकता था।
प्रशासन से कार्रवाई की मांग
इस घटना के बाद अभिभावकों और ग्रामीणों ने विद्यालय प्रबंधन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। लोगों ने मांग की है कि स्कूल प्रशासन को जवाबदेह ठहराया जाए और दोषी शिक्षकों पर सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
निष्कर्ष
यह घटना न केवल विद्यालय प्रबंधन की लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि सरकारी स्कूलों में सुरक्षा मानकों को लेकर कितनी ढिलाई बरती जा रही है। यदि समय रहते स्थानीय लोगों ने सजगता नहीं दिखाई होती, तो यह एक बड़ी दुर्घटना का रूप ले सकती थी। अब देखना यह है कि शिक्षा विभाग इस मामले में क्या कदम उठाता है।
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