पटना: नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से भारतीय जनता पार्टी (BJP) और चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि गुजरात के लोग अब बिहार में वोटर बनाए जा रहे हैं और यह सब चुनाव आयोग की मिलीभगत से हो रहा है। तेजस्वी ने इसे ‘वोट की डकैती’ करार दिया।

गुजरात से वोटर बिहार में?
तेजस्वी यादव ने कहा कि भाजपा के गुजरात प्रभारी भीकूभाई दलसानिया, जो गुजरात के रहने वाले हैं, अब पटना के वोटर बन गए हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर कोई व्यक्ति जो दूसरे राज्य में राजनीतिक पद पर है, वह बिहार की मतदाता सूची में कैसे शामिल हो सकता है?

मुजफ्फरपुर की मेयर पर दो वोटर-ID का आरोप
तेजस्वी यादव ने मुजफ्फरपुर की मेयर और भाजपा नेत्री निर्मला देवी पर भी गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि निर्मला देवी के पास एक ही विधानसभा क्षेत्र में दो वोटर-ID हैं और दोनों में अलग-अलग उम्र दर्ज है — एक में 48 साल और दूसरे में 45 साल। उन्होंने दावा किया कि निर्मला देवी के दोनों देवरों के नाम पर भी दो अलग-अलग EPIC नंबर हैं।

“मूल मतदाता को मृत घोषित कर दिया जाता है”
तेजस्वी ने आरोप लगाया कि भाजपा के समर्थन में काम कर रहा चुनाव आयोग असली मतदाताओं को ‘मृत’ घोषित कर रहा है, जबकि भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं के नाम पर एक से अधिक वोटर-ID तैयार कर रहा है। उन्होंने इसे चुनावी प्रक्रिया में गहरी साज़िश और लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ बताया।
SIR मामला सुप्रीम कोर्ट में
तेजस्वी ने कहा कि मतदाता सूची में गड़बड़ियों को लेकर SIR (Systematic Investigation Report) मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। उन्होंने बताया कि जिन लोगों को SIR रिपोर्ट में मृत घोषित किया गया था, उन्हें अदालत में जिंदा पेश किया गया। इससे चुनाव आयोग की कार्यशैली पर सवाल उठता है।
“2020 में भी हुई थी वोट की चोरी”
तेजस्वी यादव ने 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव की भी याद दिलाई। उन्होंने कहा कि उस चुनाव में भी RJD को करीब 12,000 मतों के अंतर से 10 सीटों पर हराया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि यह सब योजनाबद्ध तरीके से चुनाव आयोग की मिलीभगत से हुआ था।
भाजपा की चुप्पी पर तंज
तेजस्वी ने कहा कि जब से यह सच्चाई सामने आने लगी है, भाजपा नेताओं की बोलती बंद हो गई है। उन्होंने मांग की कि चुनाव आयोग इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई करे।
निष्कर्ष:
नेता प्रतिपक्ष के इन आरोपों से बिहार की राजनीति में नया विवाद खड़ा हो गया है। जहां एक ओर तेजस्वी यादव इसे लोकतंत्र की हत्या बता रहे हैं, वहीं दूसरी ओर भाजपा की ओर से इस पर अभी तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। अब देखना होगा कि चुनाव आयोग इन आरोपों को लेकर क्या रुख अपनाता है।
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