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मतदाता सूची में बड़ी चूक: जीवित महिला को बताया मृत

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किशनगंज (बिहार):
बिहार के किशनगंज ज़िले से एक बेहद गंभीर और हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहां मतदाता सूची में जीवित महिला को मृत घोषित कर दिया गया। यह मामला किशनगंज के पोठिया प्रखंड अंतर्गत छतरगाछ पंचायत के रहमतपुर वार्ड संख्या 6 का है, जहां निवास करने वाली साजेदा बेगम का नाम मतदाता सूची में मृतक के रूप में दर्ज कर दिया गया है।

मतदाता सूची में बड़ी चूक: जीवित महिला को बताया मृत
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20 वर्षों से लगातार कर रही थीं मतदान

साजेदा बेगम का वोटर आईडी नंबर WQB1740638 है और वे वर्ष 2003 से मतदाता सूची में दर्ज हैं। वह हर चुनाव में मतदान करती आई हैं और पूरी तरह स्वस्थ हैं। यह मामला किशनगंज विधानसभा क्षेत्र के भाग संख्या 157 से जुड़ा हुआ है।
मतदाता सूची के पुनरीक्षण के दौरान जब यह त्रुटि सामने आई, तो साजेदा बेगम और उनका परिवार स्तब्ध रह गया।

मतदाता सूची में बड़ी चूक: जीवित महिला को बताया मृत
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“मैं जिंदा हूं, फिर भी मृत घोषित कर दिया गया” – साजेदा बेगम

अपनी आपबीती साझा करते हुए साजेदा बेगम ने कहा,

“मैं पूरी तरह जीवित हूं, फिर भी मुझे मृत घोषित कर दिया गया है। यह न केवल गलत है बल्कि अपमानजनक भी है। लोग इस पर हँसी उड़ा रहे हैं, जो हमारे आत्मसम्मान को ठेस पहुँचा रहा है।”

उन्होंने बताया कि इस गलती के चलते वह और उनके पति पिछले तीन दिनों से बेहद परेशान हैं और लगातार सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। परिवार ने इस घटना को पहचान और लोकतांत्रिक अधिकार छीनने की साजिश बताया है और चुनाव आयोग से दोषियों पर कठोर कार्रवाई की मांग की है।

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बीएलओ की लापरवाही बनी वजह?

मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) जगदीश प्रसाद ने दावा किया कि उन्होंने सभी जरूरी कागजात सही तरीके से एप पर अपलोड किए थे, लेकिन यह नहीं बता सके कि गड़बड़ी कहां हुई। उन्होंने जल्द से जल्द सुधार का भरोसा जरूर दिया है।

तकनीकी खामी या सिस्टम की लापरवाही?

प्रखंड विकास पदाधिकारी (BDO) मोहम्मद आसिफ ने बताया कि यह मामला उनके सामने पहली बार आया है और संभवतः यह एप की तकनीकी खराबी या बार-बार होने वाले अपडेट्स के कारण हुआ होगा।
हालांकि, बाद में उन्होंने स्वीकार किया कि ऐसे कई और मामले उनके संज्ञान में आए हैं। उन्होंने कहा कि यह प्रारूप मतदाता सूची है और दावा-आपत्ति की प्रक्रिया के दौरान ऐसे मामलों को सुधारा जा सकता है। उन्होंने आम जनता से अपील की कि वे अपनी शिकायतें समय रहते दर्ज कराएं।

सुप्रीम कोर्ट भी जता चुका है चिंता

यह मामला न सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे बुनियादी अधिकारों के साथ खिलवाड़ हो सकता है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट भी मतदाता सूची में अनियमितताओं को लेकर चुनाव आयोग पर पारदर्शिता बनाए रखने के लिए दबाव डाल चुका है। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि मतदाता सूची में किसी भी प्रकार की त्रुटि लोकतंत्र की जड़ पर चोट है।


निष्कर्ष:

साजेदा बेगम का मामला बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया की गंभीर खामियों की ओर इशारा करता है। यदि समय रहते सुधार नहीं किए गए, तो न केवल व्यक्तिगत नागरिकों के अधिकार प्रभावित होंगे बल्कि लोकतंत्र की निष्पक्षता भी सवालों के घेरे में आ जाएगी।

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