राजनीतिक रणनीतिकार और जन सुराज अभियान के संस्थापक प्रशांत किशोर ने बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के मीनापुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए जनता को आड़े हाथों लिया। उन्होंने नेताओं से ज़्यादा जनता की मानसिकता को बदलाव में सबसे बड़ी बाधा बताया।
मुजफ्फरपुर में बोले प्रशांत किशोर: जनता का जीवन नहीं बदला
सभा को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा,
“मैं वोट मांगने नहीं आया हूं। वोट मांगने वाले चुनाव से एक-दो साल पहले आते हैं, झूठे वादे करते हैं और फिर गायब हो जाते हैं। आप लोग उन्हीं बातों में आकर 40-45 साल कांग्रेस को, 15 साल लालू को और अब 20 साल से नीतीश कुमार को वोट दे रहे हैं, लेकिन आपके जीवन में कोई बुनियादी सुधार नहीं आया।”
उन्होंने बिहार के सामाजिक और राजनीतिक यथार्थ को उजागर करते हुए कहा कि विकास की बजाय धर्म और जाति की राजनीति ने लोगों को भ्रमित किया है।
“आपके इलाके में गली-नाली नहीं बनी, सड़क नहीं बनी, बिजली का बिल 1000-2000 रुपये आता है, लेकिन अयोध्या में राम मंदिर बन गया – आपके ही वोट से। जनता का कुछ हो या न हो, लेकिन राम मंदिर जरूर बनना चाहिए – यही तो सोच है।”
मुजफ्फरपुर में बोले प्रशांत किशोर: जनता का जीवन नहीं बदला
जाति पर वोट, लेकिन शिक्षा और रोजगार की कोई बात नहीं
PK ने जातिवाद पर आधारित राजनीति की आलोचना करते हुए कहा कि नेताओं ने केवल जातिगत जनभावनाओं का दोहन किया है।
“आपने जाति के नाम पर वोट दिया, आपके जात के नेता ने वोट ले लिया, लेकिन कभी आपके बच्चों की पढ़ाई या रोजगार की बात नहीं की। पूरे बिहार में जाति जनगणना करा दी गई – इससे किसका फायदा हुआ?”
मुजफ्फरपुर में बोले प्रशांत किशोर: जनता का जीवन नहीं बदला
“गुजरात में फैक्ट्री, बिहार में मजदूरी”
प्रधानमंत्री मोदी की विकास नीति पर सवाल उठाते हुए प्रशांत किशोर ने कहा:
“मोदी ने गुजरात में विकास किया है, वहां गांव-गांव में फैक्ट्री लगाई जा रही है। लेकिन ये पैसा पूरे देश से ले जाकर लगाया जा रहा है। बिहार के लोग गुजरात जाकर मजदूरी कर रहे हैं। अगर ऐसा ही चलता रहा तो आपके बच्चों को कभी बिहार में पढ़ाई और काम नहीं मिलेगा।”
“जनता पहले खुद को बदले, फिर सिस्टम बदलेगा”
अपने भाषण का अंत करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि अकेले किसी नेता, पार्टी या व्यक्ति से बदलाव संभव नहीं है।
“मेरी बात छोड़िए, मेरे जैसे दस लोग भी आ जाएं, तो भी बिहार नहीं सुधरेगा – जब तक जनता खुद नहीं सुधरेगी। जब तक आप अपने बच्चों के भविष्य की चिंता नहीं करेंगे, तब तक कोई नेता भी नहीं करेगा – ना मोदी, ना नीतीश, ना लालू।”
PK की यह टिप्पणी बिहार की मौजूदा राजनीतिक और सामाजिक स्थिति पर एक कठोर लेकिन वास्तविक टिप्पणी के रूप में देखी जा रही है, जो जनता से आत्ममंथन की मांग करती है।