किशनगंज— जिले के जोरबाड़ी पंचायत अंतर्गत बंदरझूला गांव में एक सनसनीखेज घटना सामने आई है, जहां नीतीश कुमार सरकार की सराहना करना एक युवक को भारी पड़ गया। आरोप है कि जन सुराज पार्टी के कार्यकर्ताओं ने एक NDA समर्थक युवक को सिर्फ इसलिए पीट दिया क्योंकि वह बिहार सरकार की योजनाओं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कामकाज की तारीफ कर रहा था।
घटना के शिकार युवक की पहचान सोनू सिंह के रूप में हुई है, जो जोरबाड़ी पंचायत के बंदरझूला गांव का रहने वाला है। सोनू ने मीडिया को दिए अपने बयान में बताया कि जन सुराज पार्टी के समर्थक मोहम्मद सद्दाम, मोहम्मद डालिम और उनके भाई ने मिलकर उसे जबरदस्ती बाइक पर बैठाया और SSB कैंप के पास ले जाकर बेरहमी से पीटा।

आरोपियों ने दिया था राजनीतिक कारणों का हवाला
सोनू सिंह ने कहा कि मारपीट के दौरान आरोपियों ने उसे स्पष्ट रूप से कहा कि,
“तुम लोग हमें वोट नहीं देकर नीतीश कुमार को वोट दोगे, यही सजा है।”
यह बयान इस घटना को सीधे राजनीतिक प्रतिशोध से जोड़ता है और इलाके में बढ़ते राजनीतिक तनाव को भी उजागर करता है।

मौके पर पहुंची पत्नी और SSB जवान
घटना की जानकारी मिलते ही पीड़ित की पत्नी कुसुम देवी और कुछ स्थानीय लोग मौके पर पहुंचे। SSB जवानों ने भी स्थिति को संभाला और घायल सोनू को तत्काल किशनगंज जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। फिलहाल उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है।

अभी तक थाने में नहीं हुई शिकायत दर्ज
कुसुम देवी ने मीडिया को बताया कि उनके पति पर सिर्फ इसलिए हमला किया गया क्योंकि वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विकास कार्यों की तारीफ कर रहे थे। उन्होंने कहा,
“मुझे समझ नहीं आता कि किसी की राय व्यक्त करना अपराध कैसे हो गया? हमलावरों को सख्त सजा मिलनी चाहिए।”
हालांकि, इस घटना को लेकर अब तक स्थानीय थाने में कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है।

प्रशासन और सरकार से न्याय की मांग
कुसुम देवी और उनके परिवार ने इस हमले की निंदा करते हुए राज्य सरकार और जिला प्रशासन से न्याय की मांग की है। उन्होंने कहा कि अगर राजनीतिक विचारों के कारण लोगों को पीटा जाएगा, तो यह लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधा हमला है।
राजनीतिक दलों की चुप्पी पर सवाल

इस घटना के बाद जन सुराज पार्टी की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। वहीं, स्थानीय प्रशासन भी मामले की गंभीरता को देखते हुए स्थिति पर नजर बनाए हुए है, लेकिन FIR दर्ज न होने को लेकर पुलिस की निष्क्रियता पर भी सवाल उठ रहे हैं।
निष्कर्ष:
यह घटना सिर्फ एक व्यक्ति की पिटाई नहीं है, बल्कि लोकतंत्र में मत और विचार की स्वतंत्रता पर हमला है। यदि किसी आम नागरिक को केवल एक राजनीतिक दल या सरकार की सराहना करने पर इस प्रकार से प्रताड़ित किया जाता है, तो यह न सिर्फ निंदनीय है, बल्कि राज्य के कानून-व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।
अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले में कितनी तत्परता और निष्पक्षता से कार्रवाई करता है, और क्या जन सुराज पार्टी इस घटना पर कोई स्पष्टीकरण देती है या नहीं।
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