किशनगंज, बिहार: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के बिहार प्रदेश अध्यक्ष और विधायक अख्तरुल इमान ने गुरुवार, 4 सितंबर 2025 को किशनगंज में अपने कार्यालय से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) द्वारा आयोजित बिहार बंद को पूरी तरह असफल करार दिया। उन्होंने इस बंद को एक “राजनीतिक स्टंट” बताते हुए भारतीय जनता पार्टी (BJP) और NDA की मंशा पर सवाल उठाए। यह बंद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वर्गीय मां के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी के विरोध में बुलाया गया था, जिसे लेकर बिहार में तीखा सियासी विवाद छिड़ा हुआ है।

अख्तरुल इमान का बयान
किशनगंज में पत्रकारों से बातचीत के दौरान अख्तरुल इमान ने कहा, “किसी भी मां का सम्मान करना चाहिए, चाहे वह किसी भी धर्म, जाति या समुदाय की हो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वर्गीय मां के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी निंदनीय है, और इसके लिए कानून को अपना काम करना चाहिए। बिहार में NDA की सरकार है, और कानून व्यवस्था उनके ही नियंत्रण में है। दोषी को सजा दिलाने के लिए कानूनी प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए, न कि सड़कों पर बंद बुलाकर जनता को परेशान किया जाना चाहिए।”
उन्होंने NDA पर निशाना साधते हुए कहा कि यह बंद केवल एक राजनीतिक नाटक है, जिसका मकसद आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले जनता की सहानुभूति हासिल करना है। अख्तरुल ने तंज कसते हुए कहा, “जब कांग्रेस की नेत्री या अन्य महिलाओं के खिलाफ अभद्र टिप्पणियां की गईं, तब BJP और NDA ने भारत बंद क्यों नहीं बुलाया? वे भी किसी की मां, बहन या बेटी थीं। यह दोहरा रवैया उनकी मंशा को उजागर करता है।”

बंद का प्रभाव और जनता को असुविधा
अख्तरुल इमान ने बंद के दौरान जनता को हुई असुविधा पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि बिहार के कई जिलों में सड़क जाम और प्रदर्शनों के कारण आम लोगों, विशेष रूप से बीमार माताओं, मरीजों और यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। उन्होंने पूछा, “क्या इस तरह के बंद से बिहार की समस्याएं हल होंगी? यह केवल जनता को तकलीफ देने का एक तरीका है।” उन्होंने यह भी कहा कि कानून पहले से ही इस मामले में कार्रवाई कर रहा है, और दोषियों के खिलाफ उचित कदम उठाए जा रहे हैं।

विवाद की पृष्ठभूमि
यह विवाद 27 अगस्त 2025 को दरभंगा में आयोजित कांग्रेस की वोटर अधिकार यात्रा के दौरान शुरू हुआ, जब मंच से कथित तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी स्वर्गीय मां के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की गई। इस टिप्पणी का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद BJP और NDA ने इसे मुद्दा बनाकर पूरे बिहार में विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए। किशनगंज में NDA कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रीय राजमार्ग 27 पर राहुल गांधी का पुतला दहन किया और सड़क जाम कर दी, जिससे यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ।
प्रधानमंत्री मोदी ने 2 सितंबर को इस मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए एक भावुक बयान में कहा, “मेरी मां का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं था। वह अब इस दुनिया में भी नहीं हैं। फिर भी, कांग्रेस और RJD के मंच से उनके खिलाफ गालियां दी गईं। इस घटना से मेरे दिल में जितनी पीड़ा है, उतनी ही मेरे बिहार के लोगों के दिल में भी है।”

अख्तरुल इमान का तर्क
अख्तरुल इमान ने अपने बयान में इस बात पर जोर दिया कि कानून को अपना काम करने देना चाहिए। उन्होंने कहा, “NDA को इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देने के बजाय कानूनी प्रक्रिया पर भरोसा करना चाहिए। बिहार में उनकी सरकार है, और अगर वे वाकई दोषियों को सजा दिलाना चाहते हैं, तो कानून के रास्ते कार्रवाई होनी चाहिए। सड़क जाम करना और जनता को परेशान करना कोई समाधान नहीं है।” उन्होंने यह भी कहा कि AIMIM ऐसी किसी भी टिप्पणी का समर्थन नहीं करती, लेकिन बंद जैसे कदमों से जनता की समस्याएं और बढ़ती हैं।
किशनगंज में बंद का प्रभाव
किशनगंज में NDA के बंद का असर आंशिक रूप से देखा गया। कुछ इलाकों में दुकानें बंद रहीं, जबकि अन्य स्थानों पर सामान्य गतिविधियां जारी रहीं। अख्तरुल इमान ने दावा किया कि बंद को जनता का व्यापक समर्थन नहीं मिला, और यह केवल NDA कार्यकर्ताओं का एक प्रायोजित प्रदर्शन था। उन्होंने कहा, “बिहार की जनता समझदार है। वह इस तरह के राजनीतिक स्टंट को समझती है और इसका जवाब आगामी चुनाव में देगी।”
राजनीतिक निहितार्थ
यह विवाद बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से ठीक पहले सामने आया है, जिसके कारण इसे एक बड़े राजनीतिक मुद्दे के रूप में देखा जा रहा है। NDA इस मुद्दे को भावनात्मक रूप से भुनाने की कोशिश कर रही है, खासकर महिलाओं और ग्रामीण मतदाताओं के बीच। वहीं, AIMIM और अन्य विपक्षी दल इसे NDA की रणनीति का हिस्सा बता रहे हैं। अख्तरुल इमान ने कहा कि उनकी पार्टी बिहार की जनता के हितों के लिए काम करती रहेगी और इस तरह के विवादों से विचलित नहीं होगी।
निष्कर्ष
अख्तरुल इमान का यह बयान NDA के बिहार बंद को लेकर एक नया दृष्टिकोण पेश करता है। उन्होंने इसे जनता के लिए असुविधाजनक और राजनीति से प्रेरित करार देते हुए कानूनी कार्रवाई पर जोर दिया। यह विवाद बिहार की सियासत में एक नया मोड़ ला सकता है, और इसका प्रभाव आगामी विधानसभा चुनाव में देखने को मिल सकता है। किशनगंज और पूरे बिहार में इस मुद्दे पर चर्चा जोरों पर है, और जनता की नजर अब कानूनी और राजनीतिक कार्रवाइयों पर टिकी हुई है।
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