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किशनगंज में एंबुलेंस चालकों की हड़ताल

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किशनगंज, बिहार: बिहार के किशनगंज जिले में 102 एंबुलेंस सेवा के चालकों की अनिश्चितकालीन हड़ताल ने जिले की आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं को ठप कर दिया है। पिछले पांच महीनों से वेतन न मिलने से नाराज चालकों ने काम बंद कर दिया, जिसके कारण मरीजों को गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस हड़ताल का सबसे दुखद उदाहरण तब सामने आया जब एक बुजुर्ग महिला को एंबुलेंस की अनुपलब्धता के कारण 5 किलोमीटर तक ठेले पर अस्पताल ले जाना पड़ा।

किशनगंज में एंबुलेंस चालकों की हड़ताल
किशनगंज में एंबुलेंस चालकों की हड़ताल

हड़ताल का कारण: पांच महीने से बकाया वेतन

एंबुलेंस चालक संघ के अध्यक्ष हैदर अली ने बताया कि जुलाई से अक्टूबर 2025 तक का वेतन बकाया है, जिसके कारण चालकों में भारी असंतोष है। उन्होंने इस स्थिति के लिए बिहार सरकार, राज्य स्वास्थ्य समिति, और नई एजेंसी जैन प्लस कंपनी के बीच समन्वय की कमी को जिम्मेदार ठहराया। हैदर अली ने कहा, “हम दिन-रात मरीजों की सेवा में लगे रहते हैं, लेकिन पांच महीने से वेतन न मिलने के कारण हमारा परिवार चलाना मुश्किल हो गया है।”

किशनगंज में एंबुलेंस चालकों की हड़ताल
किशनगंज में एंबुलेंस चालकों की हड़ताल

चालकों की प्रमुख मांगें

चालकों ने अपनी मांगों को स्पष्ट करते हुए कहा कि वे न्यूनतम मजदूरी का प्रभावी क्रियान्वयन, दुर्घटना बीमा, और कार्य के दौरान मृत्यु होने पर 10 लाख रुपये के मुआवजे की मांग कर रहे हैं। हैदर अली ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें जल्द पूरी नहीं की गईं, तो चालक भूख हड़ताल शुरू करेंगे। उन्होंने कहा, “हमारी मांगें जायज हैं, और हम तब तक हड़ताल जारी रखेंगे जब तक हमें न्याय नहीं मिलता।”

मरीजों पर प्रभाव: ठेले पर अस्पताल पहुंची बुजुर्ग महिला

हड़ताल के कारण जिले की आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। सबसे मार्मिक घटना तब सामने आई जब एक बुजुर्ग महिला को समय पर एंबुलेंस न मिलने के कारण उनके परिजनों को उन्हें 5 किलोमीटर तक ठेले पर लेकर अस्पताल जाना पड़ा। इस घटना ने स्थानीय लोगों में आक्रोश पैदा कर दिया है, और उन्होंने प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। मरीजों को समय पर अस्पताल पहुंचाने में हो रही देरी ने स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति को और गंभीर बना दिया है।

प्रशासन को सौंपा गया ज्ञापन

चालकों ने अपनी मांगों को लेकर जिलाधिकारी सहित कई वरिष्ठ अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा है, लेकिन उन्हें केवल आश्वासन ही मिले हैं। हैदर अली ने बताया, “हमने कई बार अपनी समस्याएं अधिकारियों के सामने रखीं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। अब हम और इंतजार नहीं कर सकते।” इस बीच, सुपरवाइजर आशिफ रहमानी ने इस मामले पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, जिससे चालकों का गुस्सा और बढ़ गया है।

स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया

हड़ताल के कारण किशनगंज के निवासियों में चिंता और असंतोष बढ़ रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि एंबुलेंस सेवाएं आपातकालीन स्थिति में जीवन रक्षक होती हैं, और उनकी अनुपलब्धता मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है। कई लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि वह चालकों की मांगों का तुरंत समाधान करे ताकि स्वास्थ्य सेवाएं सामान्य हो सकें।

स्वास्थ्य सेवाओं पर व्यापक प्रभाव

किशनगंज के सदर अस्पताल में 102 एंबुलेंस सेवा मरीजों को त्वरित चिकित्सा सुविधा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हड़ताल के कारण यह सेवा पूरी तरह ठप हो गई है, जिससे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के मरीज प्रभावित हो रहे हैं। विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और गंभीर मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

प्रशासन से अपील

स्थानीय लोग और चालक प्रशासन से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं। चालकों ने कहा कि वे अपनी जायज मांगों के लिए लड़ रहे हैं, लेकिन उनका मकसद मरीजों को परेशान करना नहीं है। उन्होंने प्रशासन से अनुरोध किया कि वह बिहार सरकार और संबंधित एजेंसी के साथ बातचीत कर इस समस्या का समाधान निकाले।

निष्कर्ष

किशनगंज में एंबुलेंस चालकों की हड़ताल ने बिहार की स्वास्थ्य सेवाओं की कमजोर कड़ी को उजागर कर दिया है। पांच महीने से बकाया वेतन और अन्य मांगों को लेकर चालकों का गुस्सा जायज है, लेकिन इसका सबसे ज्यादा खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। प्रशासन और सरकार को इस मामले में तुरंत कदम उठाने की जरूरत है ताकि स्वास्थ्य सेवाएं बहाल हो सकें और मरीजों को राहत मिल सके। यह घटना एक बार फिर प्रशासनिक समन्वय और समय पर भुगतान की कमी को रेखांकित करती है, जिसका समाधान अब अत्यंत आवश्यक है।

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