किशनगंज, बिहार:
किशनगंज जिले के बहादुरगंज प्रखंड में शनिवार को राजद विधायक अंजार नईमी को तीव्र विरोध और नारेबाज़ी का सामना करना पड़ा। वे अपने विधानसभा क्षेत्र के टंगटंगी-निसंदरा इलाके में जनसंवाद कार्यक्रम के तहत लोगों से मुलाकात करने पहुंचे थे, लेकिन वहां की जनता ने उन्हें घेर लिया और सभा के दौरान भारी हंगामा खड़ा कर दिया।
इस पूरी घटना का एक वीडियो रविवार से सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें स्थानीय ग्रामीण विधायक के खिलाफ नारे लगाते हुए और तीखी बहस करते हुए नजर आ रहे हैं। खास बात यह रही कि कई लोगों ने AIMIM ज़िंदाबाद के नारे लगाए, जिससे माहौल और अधिक गर्म हो गया।

विरोध के पीछे की वजह
स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि विधायक अंजार नईमी ने अपने राजनीतिक लाभ के लिए पार्टी बदल ली है। साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में अंजार नईमी बहादुरगंज सीट से AIMIM के टिकट पर चुनाव जीतकर विधायक बने थे। लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने AIMIM छोड़कर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का दामन थाम लिया। इसी राजनीतिक पलटी से क्षेत्र के कई मतदाता नाराज़ हैं और इसे “जनादेश के साथ विश्वासघात” मानते हैं।
एक ग्रामीण ने सभा के दौरान कहा, “जैसे आपने पार्टी बदली, वैसे ही ये वायदे भी छलावा हैं। हम आपके वादों पर कैसे विश्वास करें?” वहीं, कुछ लोगों ने विधायक पर यह तक आरोप लगा दिया कि उन्होंने पैसे लेकर राजद में शामिल होने का फैसला किया है।

विधायक का पक्ष
घटना के बाद प्रतिक्रिया देते हुए राजद विधायक अंजार नईमी ने आरोपों को सिरे से खारिज किया। उन्होंने कहा कि,
“हम अपने विधानसभा क्षेत्र में राजद के आगामी 5 महत्वपूर्ण वायदों को लेकर जनसंवाद कर रहे हैं। यह अभियान बेहद सफल हो रहा है। खासतौर पर महिलाएं तेजस्वी यादव की सोच से जुड़ रही हैं। इसी वजह से विरोधी बौखलाए हुए हैं और समाज विरोधी ताकतें आम जनता को भड़काने का काम कर रही हैं।”
विधायक ने इस हंगामे के पीछे राजनीतिक साजिश का आरोप लगाते हुए कहा कि, “यह सब पूर्व विधायक के इशारे पर किया गया है। उनके कार्यकर्ताओं ने सुनियोजित तरीके से सभा को बाधित किया है।”
राजनीतिक माहौल गरमाया
इस घटना के बाद बहादुरगंज और आसपास के इलाकों में राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है। AIMIM समर्थकों और राजद कार्यकर्ताओं के बीच सोशल मीडिया पर भी तीखी बहसें देखी जा रही हैं। इस विरोध को आने वाले चुनावों के लिए एक संकेत के रूप में देखा जा रहा है कि क्षेत्र में राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं।
निष्कर्ष
राजनीति में दलबदल आम बात हो सकती है, लेकिन जब कोई जनप्रतिनिधि ऐसा करता है, तो मतदाताओं की भावनाएं आहत होती हैं। किशनगंज की यह घटना यही दर्शाती है कि जनता अब अपने नेताओं से जवाबदेही चाहती है और चुनाव बाद किए गए फैसलों पर चुप बैठने को तैयार नहीं है।
अब देखना यह होगा कि अंजार नईमी इस जनविरोध को कैसे संभालते हैं और आगामी दिनों में राजद का जनसंवाद अभियान किस दिशा में आगे बढ़ता है।
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