बिहार के सीमावर्ती किशनगंज जिले के ठाकुरगंज विधानसभा क्षेत्र में एक राजनीतिक हलचल ने अचानक से तूल पकड़ लिया है। क्षेत्रीय राजनीति में एक नया चेहरा तेजी से उभर कर सामने आया है – डॉ. आसिफ सईद। गांधी मैदान, ठाकुरगंज में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम “द ग्रैंड महफिले मशवरा” के दौरान जनता ने डॉक्टर सईद को सिरवानी पहनाकर ठाकुरगंज विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने की मांग की। इस ऐतिहासिक मौके पर सैकड़ों की संख्या में लोग उपस्थित थे, जिनमें महिला, बुजुर्ग, युवा सभी वर्गों के लोग शामिल रहे।
ठाकुरगंज में बदलेगा सियासी मंजर? डॉ. आसिफ सईद की एंट्री से बढ़ी हलचल
जनता की मांग और डॉक्टर का फैसला
कार्यक्रम के दौरान जब डॉ. आसिफ सईद मंच पर लोगों को संबोधित कर रहे थे, तभी भीड़ में से एक स्वर गूंजा – “डॉक्टर साहब, आप ही हमारे उम्मीदवार बनिए!” यह मांग सिर्फ एक आवाज नहीं थी, बल्कि देखते ही देखते पूरे मैदान में यह आवाज गूंजने लगी। महिला और बुजुर्ग मतदाताओं ने मंच पर ही डॉक्टर सईद को सिरवानी पहनाकर उन्हें चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया। इस अनोखे दृश्य ने सभा को एक भावनात्मक ऊंचाई पर पहुंचा दिया।
जनता के इस अभूतपूर्व समर्थन और अनुरोध को सम्मान देते हुए डॉ. आसिफ सईद ने मंच से ही ठाकुरगंज विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। उन्होंने कहा –
“मैंने कभी राजनीति में आने का नहीं सोचा था, लेकिन यह जनभावना है, जनता की पुकार है। मैं इसे टाल नहीं सकता। यह चुनाव सत्ता के लिए नहीं, सेवा के लिए लड़ा जाएगा।”
ठाकुरगंज में बदलेगा सियासी मंजर? डॉ. आसिफ सईद की एंट्री से बढ़ी हलचल
125 दिन की सेवा, एक मजबूत वादा
डॉ. सईद ने अपने संबोधन में बताया कि उन्होंने पिछले 125 दिनों में ठाकुरगंज क्षेत्र में निरंतर जनसेवा की है। “मैंने असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी छोड़ी ताकि अपने लोगों के बीच रह सकूं और उनकी सेवा कर सकूं।” वे “We Care for ठाकुरगंज” नामक एक सेवा संस्था के माध्यम से इलाके में सक्रिय हैं, और लोगों के बीच निस्वार्थ सेवाओं के लिए जाने जाते हैं।
अपने भाषण में डॉ. सईद ने आने वाले समय में बिहार की राजनीति को बदलने की बात भी कही। कश्मीर के मिराज मल्लिक का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा,
“अब सबको फाड़ दूंगा… (राजनीतिक तौर पर)। यह बदलाव की शुरुआत है।”
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जनता ने आर्थिक सहयोग का भी किया ऐलान
कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने न केवल उन्हें चुनाव लड़ने की मांग रखी, बल्कि चुनावी खर्च के लिए आर्थिक सहयोग देने की घोषणा भी की। यह अपने आप में एक अनूठी पहल है, जब जनता स्वयं अपने उम्मीदवार के लिए संसाधन जुटाने को आगे आई हो।
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राजनीतिक समीकरणों में उथल-पुथल
ठाकुरगंज विधानसभा क्षेत्र, जो किशनगंज जिले का हिस्सा है, वर्षों से विकास, बेरोजगारी और स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली से जूझ रहा है। वर्तमान विधायक सऊद असरार (राजद) को लेकर जनता में असंतोष व्याप्त है। 2020 में राजद के टिकट पर जीत दर्ज करने वाले सऊद असरार, पूर्व सांसद मौलाना असरारुल हक कासमी के पुत्र हैं। लेकिन क्षेत्र में अपेक्षित विकास न होने के चलते जनता अब बदलाव की मांग कर रही है।
डॉ. सईद के चुनावी मैदान में आने से न केवल स्थानीय स्तर पर नई ऊर्जा का संचार हुआ है, बल्कि ठाकुरगंज विधानसभा क्षेत्र के राजनीतिक समीकरणों में भी हलचल मच गई है। इस बार निर्दलीय उम्मीदवारों की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है।
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सेवा का वादा, भेदभाव नहीं
डॉ. सईद ने अपने भाषण में वादा किया कि वे बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और क्षेत्र के समुचित विकास को प्राथमिकता देंगे। उन्होंने कहा –
“मैं बिना किसी भेदभाव के सभी वर्गों – हिंदू, मुस्लिम, पिछड़े, दलित – को साथ लेकर चलूंगा। ठाकुरगंज में व्याप्त भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाऊंगा और हर सुख-दुख में आपके साथ खड़ा रहूंगा।”
मशहूर हस्तियों की मौजूदगी
इस विशेष कार्यक्रम में कई प्रतिष्ठित लोग भी शामिल हुए। इनमें प्रसिद्ध आर्टिस्ट हैदर सैफ, और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के ओल्ड बॉयज एसोसिएशन के सदस्य भी मौजूद रहे। इससे कार्यक्रम को और अधिक प्रतिष्ठा व व्यापकता मिली।
क्या यह एक नई राजनीतिक लहर का संकेत है?
डॉ. आसिफ सईद की मैदान में उतरने की घोषणा के साथ ही ठाकुरगंज विधानसभा क्षेत्र में एक नई राजनीतिक लहर की शुरुआत दिखाई दे रही है। जनता का उत्साह, समर्थन और स्नेह यह दर्शा रहा है कि वे बदलाव के लिए तैयार हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में ठाकुरगंज की जनता किसे अपना जनप्रतिनिधि चुनती है – पारंपरिक राजनीतिक दलों को या सेवा के रास्ते पर चलने वाले एक नए चेहरे को।